सांसद भूपेन्द्र यादव, राम विलास वेदांती और एसएस अहलूवालिया सुबह करीब छह बजे गौर एक्सप्रेस से मालदा शहर के स्टेशन पर पहुंचे। वहां पर पहले से तैनात पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कालियाचक में निषेधाज्ञा लागू होने के कारण उन्हें वापस चले जाने को कहा। यादव ने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार की यह कार्रवाई निंदनीय है। सांसदों को हावड़ा जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन से वापस जाने को बाध्य किया गया।
सांसद करीब तीन घंटे तक स्टेशन के वीआईपी लाउंज में रूके जहां पर उन्होंने वरिष्ठ जिला अधिकारियों के साथ पिछले सप्ताह हुई हिंसा से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की। अहलूवालिया ने बताया, 'यात्रा का उद्देश्य लोगों को सांत्वना देना था, उन्हें यह भरोसा दिलाना था कि भविष्य में एेसा फिर नहीं होगा। राज्य सरकार के दबाव के कारण जिला प्रशासन ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 144 लागू होने के कारण हम वहां नहीं जा सकते।'
उन्होंने बताया, 'हम वहां पर किसी को उकसाने या भड़काने के लिए नहीं जा रहे। हम कानून का पालन करने वाले नागरिक और वरिष्ठ सांसद हैं लेकिन अधिकारियों ने बताया कि हम सार्वजनिक हस्ती हैं और हमारी उपस्थिति समस्याएं खड़ी कर सकती है...जो सामान्य स्थिति उन्होंने बहाल की है वह मुश्किल में पड़ जाएगी।'
Our 3member delegation has been detained by West Bengal Govt @ Malda railwy station. Administration has imposed 144. Wat Govt wants to hide?
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) January 11, 2016
भाजपा के तीनों नेताओं ने बताया कि वे यहां उन परिस्थितियों को जानने के लिए आए थे जिसके कारण वहां हिंसा हुई। घटना के बाद से इस इलाके में भाजपा नेता नहीं जा पाए हैं। छह जनवरी को पश्चिम बंगाल से एकमात्र भाजपा विधायक शामिक भट्टाचार्य के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को मालदा से करीब 30 किलोमीटर दूर कालियाचक जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि इलाके में कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं है और इस घटना को उन्होंने बीएसएफ और स्थानीय लोगों के बीच एक मुद्दे का नतीजा बताया था। इस घटना के बाद कालियाचक थाना से कई पुलिसकर्मियों का तबादला किया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने अधिकारियों के समक्ष सांप्रदायिक तनाव और पुलिस की भूमिका का मुद्दा उठाया था, अहलूवालिया ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि जांच अभी चल रही है। तृणमूल कांग्रेस सरकार पर कालियाचक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने कहा कि प्रमुख संदिग्धों को गिरफ्तार नहीं किया गया है। माकपा ने भी राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा है, कालियाचक घटना यह दिखाती है कि यह सरकार सांप्रदायिक घटनाओं पर नियंत्रण पाने में पूरी तरह नाकाम रही है।