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जगन्नाथ मंदिर के खजाने की चाभी गायब होने का मामला गर्माया, सीएम ने दिए न्यायिक जांच के आदेश

पुरी के जगन्नाथ मंदिर के खजाने (रत्नभंडार) की चाभी गायब होने का मामला गर्माने लगा है। मुख्यमंत्री नवीन...
जगन्नाथ मंदिर के खजाने की चाभी गायब होने का मामला गर्माया, सीएम ने दिए न्यायिक जांच के आदेश

पुरी के जगन्नाथ मंदिर के खजाने (रत्नभंडार) की चाभी गायब होने का मामला गर्माने लगा है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सोमवार को मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं और उड़ीसा हाइकोर्ट के पूर्व जज को एक सदस्यीय जांच आयोग का जिम्मा सौंपा है। भाजपा ने मुख्यमंत्री से इस प्रकरण में सफाई देने की मांग की है जबकि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री द्वारा न्यायिक जांच के आदेश पर ही सवाल उठाए हैं। पुरी के शंकराचार्य ने भी इस मामले में सरकार की आलोचना की है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, पटनायक ने कानून मंत्री प्रताप जेना और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) प्रमुख पीके जेना से चर्चा के बाद न्यायिक आयोग बनाने का फैसला किया। यह आयोग उन परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करेगी जिसके बाद चाभी गायब हो गई। बयान के अनुसार आयोग इस साल 14 जुलाई को होने सालाना रथयात्रा के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य रामचंद्र दास महापात्रा ने रविवार को बताया था कि समिति की चार अप्रैल को हुई बैठक में यह बात बताई गई थी कि रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष की चाभी गायब हो गई है।

समिति की पिछले सप्ताह हुई बैठक में यह मुद्दा फिर उठा जिस में बताया कि चाभी न तो मंदिर प्रशासन के पास है और न ही पुरी जिला प्रशासन के पास। मंदिर प्रबंधन के सूत्रों ने बताया कि नियमानुसार रत्न भंडार को खोलने से पहले एक पैनल का गठन किया जाता है। इस पैनल के काम खत्म हो जाने के बाद चाभी पुरी के कलेक्टर को सौंप देते हैं। रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष पिछली बार 1984 में खोला गया था। पिछले सप्ताह हुई समिति की बैठक पुरी के कलेक्टर अरविंद अग्रवाल ने बताया कि चाभी लौटाने की कोई सूचना उन्हें नहीं है।

हार्ईकोर्ट के आदेश के बाद रत्न भंडार कक्ष में चार अप्रैल को कड़ी सुरक्षा के बीच 16 सदस्यों वाली एक टीम ने यहां की स्थिति की जानकारी के लिए प्रवेश किया था। इन्हें आंतरिक कक्ष में ग्रिल के बाहर से सर्चलाइट की मदद से जांच करने के लिए कहा गया था। अब यह पता चला है कि टीम के सदस्यों को बाहर से ही जांच करने के लिए कहा गया क्योंकि वहां की चाभी नहीं मिल रही थी।

चाभी गायब होने की खबर के बाद भाजपा, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने इस मामले में मुख्यमंत्री के प्रति नाराजगी जताई। सरकार की आलोचना करते हुए ओडिशा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने मुख्यमंत्री द्वारा गठित न्यायिक आयोग पर ही सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर न्यायिक आयोग का गठन कर मुख्यमंत्री लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं। निरंजन ने कहा कि पिछले 18 साल में मुख्यमंत्री ने कई न्यायिक आयोग गठित किए पर उनके क्या परिणाम हुए।

भाजपा की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष समीर मोहंती ने इस मामले पर मुख्यमंत्री से बयान देने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब चाभी दो माह से गायब थी तो राज्य के अधिकारी अभी तक चुप क्यों थे। भाजपा नेता ने कहा कि न्यायिक जांच का आदेश केवल बहानेबाजी करना है।

पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी इस घटना के लिए ओडिशा सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह घटना बताती है कि राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रहा है।

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