19 मार्च को जयपुर के हयात रब्बानी होटल से जब्त किए गए मांस को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। जांच में उक्त मांस के बीफ होने की किसी भी संभावना से इंकार किया गया है। इस मामले में कथित गौेरक्षकों के उत्पीड़न का शिकार हुए होटल मालिक नईम रब्बनी नेआउटलुक को बताया कि वह पहले दिन से कह रहेे हैं कि उनके यहां से पकड़ा गया मांस बीफ नहीं बल्कि चिकन था, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी। उसी दिन से उनका होटल सील है।
राजस्थान पुलिस के डिप्टी कमिशनर अशोक गुप्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि रब्बनी होटल से बरामद मांस को जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी भेजा गया था। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, वह बीफ नहीं था। गौरतलब है कि 19 मार्च को आधी रात 100 से ज्यादा कथित गौरक्षकाेें ने रब्बानी होटल पर धावा बाेेेलकर गोमांस परोसने का आरोप लगाया था। इसके बाद नगर निगम ने होटल सील कर दिया था।
अदालती आदेश के बावजूद नहीं हटी सील
होटल के मालिक नईम रब्बानी का कहना है कि जिला और सत्र अदालत ने 29 अप्रैल को सात दिनों के भीतर उनका होटल की सील खोलने केे निर्देश नगर निगम को दिए थे। लेकिन आज तक इस आदेश का पालन नहीं हुआ है। अदालत के आदेश को लेकर कई दिनों से वह नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन होटल की सील नहीं खोली गई। रब्बानी कहते हैं, "मुझे लाखों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जो लोग होटल में काम करते हैं वे भी बेरोजगार हैं। यह कई परिवारों की रोजी-रोटी का सवाल है।"
फिर क्यों हो रही देरी
जयपुर नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अदालत के आदेश की एक प्रति प्राप्त नहीं हुई है। नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर सोहनलाल ने मंगलवार को मीडिया से कहा, "मैं छुट्टी पर था और अदालत के आदेश की प्रति नहीं मिली है। अगर कोई आदेश है, तो माननीय अदालत ने जो कुछ भी कहा है, हम उसका पालन करेंगे।"
उधर, रब्बानी ने दावा किया कि अदालत के आदेश की कॉपी खुद उन्होंने सोहनलाल को दी थी। उनके पास इसकी रिसीविंग भी है। इसलिए यह गलत है कि जेएमसी के पास आदेश की प्रति नहीं है।