सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को तत्काल राहत दी है। बुधवार को माननीय उच्चत्तम न्यायालय में शेल कंपनियों, माइनिंग लीज एवं मनरेगा से जुड़े मामलों पर सुनवाई हुई। उच्चत्तम न्यायालय ने एसएलपी पर अपने आदेश को रिजर्व करते हुए झारखण्ड हाई कोर्ट में चल रहे इन मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी है।
बता दें कि शेल कंपनी से संबंधित केस न0 4290/21, माइनिंग लीज से संबंधित केस न0 727/2022 एवं मनरेगा से संबंधित केस न0 4632/2019 झारखण्ड उच्च न्यायालय में चल रहा है। 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार को इससे संबंधित जनहित याचिका से संबंधित तमाम दस्तावेज तथा प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई को भी इस प्रकरण से संबंधित दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया था।
सुनवाई आंशिक तौर पर हुई थी जिसमें हेमन्त सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने यह कहते हुए याचिका खारिज करने का अनुरोध किया था कि दोनों याचिका राजनीति से प्रेरित है। इसके पूर्व झारखंड उच्च न्यायालय ने याचिकाओं को वैध ठहराते हुए सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट में हेमन्त सोरेन की ओर से चुनौती दी गई थी। उच्चत्तम न्यायालय में सुनवाई के दौरान झारखण्ड सरकार के वकील श्री कपिल सिब्बल एवं महाधिवक्ता उपस्थित थे।
पिछली सुनवाई के दौरान जनहित याचिका दायर दायर करने वाले की ओर से डिस्चार्ज याचिका दाखिल करते हुए अदालत को बताया था कि उसके अधिवक्ता पुलिस हिरासत में हैं। इसके बाद अदालत ने मौखिक रूप से इस मामले में स्टैटस्को का निर्देश दिया था।