मध्य प्रदेश में किसानों की चिंंताएं बढ़ती नजर आ रही हैं। किसानों को डर सताने लगा है कि ऐसा न हो कि कहीं बारिश ना हो और उन्हें नुकसान का सामना करना पडे़े।
सरकारी आंकड़ों की मानें तो मध्यप्रदेश में इस वर्ष मानसून में 1 जून से 22 अगस्त तक प्रदेश के 29 जिलों में कम वर्षा दर्ज की गई है। प्रदेश में जिलों की संख्या 51 है।
प्रदेश के कम वर्षा वाले जिले बालाघाट, छिन्दवाड़ा, सिवनी, मण्डला, डिण्डोरी, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, टीकमगढ़, छतरपुर, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, देवास, शाजापुर, आगर-मालवा, मुरैना, श्योपुर, भिण्ड, ग्वालियर, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, हरदा और बैतूल हैं।
प्रदेश में अभी तक सामान्य औसत वर्षा 622.5 मिमी दर्ज की गई है जबकि प्रदेश की सामान्य औसत वर्षा 672.0 मिमी है।
कई जिलों में कम वर्षा के कारण मौसमी फसलें बर्बाद होना शुरू हो चुकी है। जानकारों का मानना है की मौसम की बेरुखी के चलते एक हफ्ते तक ऐसे हालात बने रहे तो उत्पादन की उम्मीद पर पानी फिर सकता है।
कुछ दिन पहले प्रदेश के सिवनी जिले में मध्य प्रदेश किसान सभा के सदस्यों ने मुख्यालय स्थित कचहरी चौक में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। धरना प्रदर्शन के बाद सभा सदस्यों ने 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सरकार को सौंपा।
ज्ञापन में 10 सूत्रीय मांगों में मुख्य रूप से बताया गया कि स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए। वन और राजस्व भूमि में आवास व कृषि के पट्टे दिए जाएं, नर्मदा बांध और विभिनन परियोजनाओं के विस्थापितों को शीघ्र न्याय, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2014 में लोक सभा चुनाव में किए गए वादे फसल लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य का वादा सरकार पूरा करे, कर्ज में डूबे किसानों को संकट से बाहर निकाला जाए, धनौरा क्षेत्र के डूब इलाकों में आई किसानों की जमीन का उचित मुआवजा, तालाबों व नहरों के गहरीकरण को राज्य सरकार ज्यादा आवंटन राशि दे, भीमगढ़ जलाशय से किसानों को पानी और बोवनी के समय बाजार में नकली खाद और बीजों पर प्रतिबंध लगाए जाए।
प्रदेश में 2 जिले कटनी और झाबुआ में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इन जिलों में सामान्य से 20 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है।