राम मंदिर के चंदे के लिए की जा रही रैलियों पर पथराव ने राज्य में सियासत को गर्म कर दिया है। इसके माध्यम से प्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने लगा है। राज्य की दोनों प्रमुख राजनीतिक दल इसको राजनीतिक साजिश करार दे रहे है। दूसरी ओर राज्य सरकार इस तरह की घटनाओं से सख्ती से निपट रही है।
उज्जैन, इंदौर और मंदसौर में राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली जा रही चंदा रैली पर पथराव के बाद हिंसा की की घटनाएं सामने आई है। यह घटनाएं उस समय हुई है जब चंदा रैली विशेष समुदाय के क्षेत्रों में पहुंची। रैली निकालने वाले लोगों का आरोप है कि पथराव एक समुदाय की ओर से किया जा रहा है। जिला प्रशासन भी स्थानीय मुस्लिम लोगों पर कार्यवाही भी कर रहा है। इस पूरी घटना को लेकर प्रदेश में सियासी घमासान भी उठ खड़ा हुआ है. बीजेपी ने मालवा में दो पक्षों के बीच हुई हिंसा पर तत्काल कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है तो कांग्रेस का कहना है निकाय चुनाव से पहले बीजेपी जानकर माहौल बिगाड़ रही है।
पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह ने मालवा अंचल में हुई हिंसा पर कहा यह सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है। नगरीय निकाय चुनाव से पहले माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में भी सियासी फायदा लेने के लिए सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है।
उज्जैन, इंदौर और उसके बाद मंदसौर में जुलूस पर हुए पथराव के बाद जिला प्रशासन ने कार्रवाई की है। मंदसौर में दोनों पक्षों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई है। घटना रोकने में विफल पुलिस अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है। राजनीतिक जानकार यह सवाल उठा रहे है कि प्रदेश के शांत माहौल को बिगाड़ने की साजिश कौन रच रहा है, और क्या हिंसा कोई सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।