पूर्व केंद्रीय मंत्री व राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह, सहकारिता मंत्री आलोक मेहता, विधि एवं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा, मुजफ्फरपुर से भाजपा के नगर विधायक सुरेश कुमार शर्मा, विभूतिपुर से जदयू विधायक राम बालक सिंह और पूर्व कांग्रेसी मंत्री संजीव प्रसाद टोनी ने परमेश्वर के मोबाइल पर नर्सों के पद पर अपने चहेतों की नियुक्ति के लिए पैरवी के मैसेज भेजे थे। विधान सभाध्यक्ष विजय चौधरी के निजी सचिव नवीन का भी नाम पैरवी करने वालों में है, जिसकी जानकारी विधानसभा सत्र की शुरुआत में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दी थी। इसके अलावा लगभग 100 एसएमएस दूसरे लोगों के नाम से भेजे गए हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
एसआइटी प्रमुख व एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि पेपर लीक कांड में केस डायरी कोर्ट में दाखिल कर दी गई है। परमेश्वर राम का मोबाइल फॉरेंसिक साइंस लैब को जांच के लिए भेजा गया था, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट केस डायरी के साथ संलग्न की गई है। एसएमएस भेजने वाले शख्स का मोबाइल नंबर दर्ज है, लेकिन वह किसका और कौन है, इसकी जांच की जा रही है। एसआइटी किसी दबाव में काम नहीं कर रही है।
एसएसपी ने नाम तो नहीं लिया, पर एसएमएस भेजने वाले लोगों से पूछताछ करने की बात कही है। उनकी मानें तो एफएसएल की रिपोर्ट के आधार पर पैरवी करने वालों की पहचान की जाएगी। जिस नेता ने अपने अभ्यर्थी के लिए परमेश्वर को पैरवी की थी, उन्हें नौकरी मिली या नहीं, पहले इसकी जांच होगी। पैरवी कराने वाले अभ्यर्थियों के नाम और रोल नंबर एसआइटी के पास हैं।
सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि रोजाना दर्जनों लोग आते हैं। कुछ लोग पैरवी का आग्रह करने आते हैं। जनहित के काम के लिए अफसरों को फोन करना आम बात है। ठीक से याद नहीं कि किसके लिए कब पैरवी की थी।
दूसरी ओर, विधि मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति को पैरवी करनी ही पड़ती है। मेरे पास कोई व्यक्ति फरियाद करता है, तो उसकी बात सुनना मेरा फर्ज हो जाता है।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    