पंजाब में खनन माफिया और रेत के दाम पर लगाम लगाने को लेकर कैबिनेट सब-कमेटी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सोमवार को रिपोर्ट सौंप दी है। सब-कमेटी के प्रमुख कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू ने रिपोर्ट सौंपने के मौके पर बताया कि पंजाब में रेत के आने वाले 100 वर्षों और बजरी के 170 वर्षो के भंडार मौजूद हैं। सबकमेटी ने रेत की कीमत 1000 रपए प्रति 100 क्यूबिक फुट(एक ट्राली) करने की सिफारिश की है।
सिद्धू ने कहा कि कैबिनेट सब-कमेटी ने यह पता लगाया कि पंजाब में इससे पहले रेत की कोई कीमत तय नहीं थी और सप्लाई की भी कमी थी। सप्लाई टूटने से ही रेत की कीमतें आसमान छू लेतीं थीं, जिस कारण लोगों को महंगी कीमतों पर रेत मिलती थी। उन्होंने कहा कि कैबिनेट सब-कमेटी द्वारा अब पंजाब में रेत और बजरी के मौजूद भंडारों को देखते हुये रेत का भाव कम करके एक तय कीमत पर निश्चित करने की सिफारिश की जा रही है। सिफारशों के अनुसार, सप्लाई की भी कमी नहीं रहेगी और लोगों को एक तय कीमत पर रेत मिलेगी जो कि पहले की अपेक्षा काफी कम कीमत पर मिलेगी।
सिद्धू ने कहा कि कमेटी द्वारा यह पता लगाया गया कि पंजाब में सभी नदियों को मिलाकर कुल लंबाई 1150 किलो मीटर बनती है और इनकी 500 मीटर (आधा किलो मीटर) चौड़ाई है। कुल क्षेत्रफल 575 वर्ग किलोमीटर बनता है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार 10 फुट गहरे एक वर्ग किलो मीटर क्षेत्रफल में से 32 लाख टन रेत निकल सकती है। इस तरह पंजाब में 575 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से कुल 184 करोड़ टन रेत के भंडार मौजूद हैं। नदियों में से हर वर्ष रेत निकालने से नदियों में पहाड़ों से और रेत आ जाती है। पंजाब में प्रति वर्ष रेत की मांग 2 करोड़ टन है। इस तरह पंजाब के पास आने वाले 91 वर्षों के लिए रेत का भंडार पड़ा है। यह भी जि़क्रयोग्य है कि पंजाब की नदियों का हिमालय से निकलने के कारण रेत की गुणवत्ता तेलंगाना में गोदावरी नदी से निकलने वाली रेते से बढ़िया है।
सिद्धू ने आगे बताया कि बजरी के भंडारण का पता लगाने के लिए क्रशरों का दौरा करने के उपरांत कमेटी को यह पता लगा कि कंडी क्षेत्र में 30 किलो मीटर तक के क्षेत्र में छोटे पथरीले टिब्बे हैं और कुल 500 वर्ग किलो मीटर क्षेत्रफल बनता है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 30 फुट गहराई तक तीन वर्ग किलो मीटर के क्षेत्रफल में 1 करोड़ टन भंडार मौजूद हैं जो कि पंजाब की एक साल की मांग पूरी कर सकते हैं। इस तरह 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पड़े 170 करोड़ टन के भंडार पंजाब की आने वाले 170 साल की मांग पूरी कर सकते हैं।