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नक्सलियों पर एक सप्ताह में 16 ग्रामीणों की हत्या का आरोप

बस्तर के अबूझमाड़ में 16 ग्रामीणों की कथित हत्या की खबरों से एक बार फिर देश और दुनिया के मीडिया की निगाहें बस्तर के नक्सलवाद पर टिक गई हैं। दरअसल इस खबर के जन्मदाता बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते नक्सली बौखला गए हैं और निर्दोष ग्रामीणो को मार रहे हैं।
नक्सलियों पर एक सप्ताह में 16 ग्रामीणों की हत्या का आरोप

कल्लूरी के मुताबिक पिछले एक सप्ताह में नक्सलियो ने अबूझमाड़ में 16 लोगो की हत्या की है। कल्लूरी ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को आगाह किया किया कि ये लोग दानव अधिकारों के लिए लड़ते हैं। अब ग्रामीणों की हत्या हुई है तब ये लोग कहा हैं। इधर राज्य का पुलिस मुख्यालय इन हत्याओं की पुष्टि नही कर रहा है। मुख्यालय के सूत्रों की माने तो पुलिस फिलहाल अबूझमाड़ के जंगलों में उन लाशों का पता कर रही हैं जिन्हे नक्सलियों ने मारा है। नारायणपुर के एसपी अभिषेक मीणा के मुताबिक तीन ग्रामीणों की ह्त्या की सूचना है जिसमें से मात्र एक की लाश मिली है। दरअसल हाल ही में तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की ग्रेहाउंड फोर्स ने 8 नक्सलियों को मार गिराया था और सभी की लाशे मिली थी।

पिछले एक माह से बस्तर में पुलिस और मानवाधिकार कार्यकर्ताओँ के बीच शीतयुद्ध सा चल रहा है। समाजशास्त्री बेला भाटिया पिछले एक साल से बस्तर के सामाजिक जीवन पर रिसर्च के अलावा मानवाधिकारों पर काम कर रही हैं। वे मानती है कि उन पर नक्सल समर्थक होने के आरोप लग रहे हैं लेकिन वे इससे साफ इंकार करती हैं। दरअसल जनवरी, 2015 से वह जगदलपुर में किराए का मकान लेकर रह रही थीं और दो माह पहले ही करीब के गांव में रहना शुरू किया था लेकिन हाल ही में गांव वाले मकान मालिक से पुलिस ने लंबी पूछताछ की। चूंकि यह मामला पूछताछ तक ही सीमित है इसलिए उन्होने कलेक्टर से मिलकर न केवल शिकायत की बल्कि अपने काम के बारे में डिटेल जानकारी दी। बेला भाटिया ने आउटलुक को बताया कि उनका मकान मालिक इस बात को लेकर डर रहा है कि पुलिस कहीं उन्हें नक्सल समर्थक बता कर गिरफ्तार न कर ले। बेला ने कहा कि हमने कलेक्टर व कमिश्नर को बताया कि हम न तो किसी के समर्थक हैं और न ही विरोधी। हम तो अपना काम कर रहे हैं। बेला ने बताया कि गत 29 जनवरी को सलवाजूडूम समर्थकों की बीजापुर में रैली हुई थी। उन लोगो ने फरमान जारी किया था कि नक्सल समर्थकों को बीजापुर नही आना है, नही तो अंजाम बुरा होगा। पुतले भी जलाए थे। बेला ने बताया कि पत्रकार मालिनी सुब्रमणियम के घर पर तोड़-फोड़ के बाद आईजी एआरपी कल्लूरी और एसपी उनके घर जब आए थे और उन्होंने आशवस्त किया था कि उन्हें सुरक्षा मिलेगी लेकिन इसके बाद ऐसा कुछ होता दिखा नही। गौरतलब है कि बस्तर में पत्रकार सन्तोष यादव और समारू नाग की गिरफ्तारी के बाद बस्तर में पत्रकार और कांग्रेस संगठन काफी आंदोलनरत है। उसके बाद ही पत्रकार मालिनी सुब्रमणियम के घर पर हमला हुआ। हालाकि राज्य सरकार ने पत्रकारों से जुड़े मामलों की मानिटरिंग के लिए एक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है जिसमें दो पत्रकारो को भी लिया जाना हैं। वेसे फिलहाल समिति ने काम करना शुरू नही किया है। 

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