केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि संबंधी कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए किसानों के मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में चार नामों की सिफारिश की गई है। जिनमें भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ), डॉ. प्रमोद कुमार जोशी और अनिल घनवंत शामिल हैं। गौरतलब है कि इन सिफारिशों में प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों में से एक भी संगठन शामिल नहीं है।
प्रो. अशोक गुलाटी
सिफारिश किए गए नामों में अशोक गुलाटी जाने-माने कृषि विशेषज्ञ हैं और भारतीय अनुसंधान परिषद (ICRIER) में इन्फोसिस के चेयर प्रोफेसर हैं। गुलाटी नीति आयोग के तहत प्रधानमंत्री की ओर से बनाई एग्रीकल्चर टास्क फोर्स के मेंबर और कृषि बाजार सुधार पर बने एक्सपर्ट पैनल के अध्यक्ष भी हैं। प्रो. गुलाटी इन कानूनों के आने के बाद से खुल कर बात करते आ रहे हैं। लेकिन, वो इस बात को मानते रहे हैं कि किसानों को समझाने में सरकार नाकाम रही है और इन कानूनों में बदलाव बीस वर्ष पहले होना चाहिए था। अपने कई इंटरव्यू और लेखों के जरिए गुलाटी ने दावा किया है कि एमएसपी को कानूनी रूप देना बाजार के प्रतिकूल है। ये डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है।
प्रो. गुलाटी इन कानूनों का समर्थन करते हुए कहते रहे हैं कि किसानों में इन कानूनों को लेकर काफी अफवाहें हैं। वो विपक्ष पर भी सवाल उठाते रहे हैं। उनका कहना रहा है कि सुधारों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही है। उनका दावा रहा है कि एपीएमसी एक्ट के जरिए किसानों को एक और रास्ता अपनी फसलों को बेचने का मिल रहा है। इससे मार्केट में कंपिटिशन बढ़ेगा और किसानों को फायदा होगा।
भूपिंदर सिंह मान
दूसरा नाम भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार भूपिंदर सिंह मान का है, जो राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। वे किसान कोऑर्डिनेशन कमेटी (केकेसी) के चेयरमैन भी हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठन में ये संगठन शामिल नहीं है।
अनिल घनवंत
अनिल घनवंत महाराष्ट्र के किसानों के शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं। प्रोफेसर गुलाटी की तरह अनिस घनवंत भी मानते रहे हैं कि इन कानूनों को पूरे तौर से खारिज करना किसानों और खेती के हित में नहीं है। हालांकि, वो इस बात को भी दोहराते रहे हैं कि इन कानूनों में सुधार की गुंजाइश है। इस संगठन को किसान नेता शरद जोशी ने 1979 में बनाया था। वो इस बात को मानते रहे हैं कि इन कानूनों के आने से गांवों में कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस बनाने में निवेश बढ़ेगा। उन्होंने भी प्रो. गुलाटी का समर्थन करते हुए कहा था कि यदि इसे वापस ले लिया जाता है तो किसानों के लिए खुले बाजार का रास्ता बंद हो जाएगा।
डॉ. प्रमोद जोशी
सुप्रीम कोर्ट की इस सिफारिश में डॉ. प्रमोद जोशी भी शामिल हैं जो सरकारी संस्थान (साउथ एशिया इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट) के डायरेक्टर हैं। वो नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज और इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स के फेलो भी हैं।
जोशी ने पिछले साल बीते महीने दिसंबर में एक ट्वीट कर कहा था कि हमें एमएसपी से परे नई मूल्य नीति पर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि यह किसानों, उपभोक्ताओं और सरकार के लिए एक जीत होनी चाहिए। एमएसपी को घाटे के समय तैयार किया गया था। अब हम इसे पार कर चुके हैं और अधिकांश वस्तुओं में अधिशेष है। सुझावों का स्वागत है।