नवजात ने अभी दुनिया भी नहीं देखी थी और बेरहम मां-बाप के बाद कुत्तों का शिकार हो गया। मंगलवार को जल्द सुबह हजारीबाग के उपायुक्त के आवास के सामने नवजात का शव मॉर्निंग वाक करने वालों ने देखा तो घटना के बारे में लोगों को जानकारी मिली। पुलिस को भी सूचना दी गई मगर असल मददगार के रूप में मुर्दा कल्याण समिति के अध्यक्ष खालिद सामने आये।
नाजायज औलाद मान किसी ने फेक दिया या मृत अवस्था में ही पैदा हुआ यह बताने वाला कोई नहीं है। संभव है किसी नर्सिंग होम वाले ने मृत पैदा होने पर सड़क किनारे कचरे के ढेर में फेंक दिया हो और कुत्ते खींच कर उसके डीसी आवास के सामने ले आये हों। नवजात का सिर और एक हाथ गायब था। जिसकी नजर पड़ी होगी उफ के साथ तमाम भावनाएं मन के भीतर तूफान मचाने लगी होंगी। सवाल कई हैं, जिंदा था तो मां-बाप के सामने क्य मजबूरी थी जो कलेजे के टुकड़े को सड़क पर फेंक दिया, कुत्तों का निवाला बना दिया। सोच कर भी आत्मा नहीं कांपी होगी। दुनिया में ऐसे नावल्दों की कतार है जो बच्चे चाहते हैं मगर मिलते नहीं। अगर मरा हुआ ही पैदा हुआ था तो जिस मां ने नौ माह अपनी कोख में पाला। बाप ने ध्यान रखा। कहीं मुनासिब तरीके से ठिकाने लगा देते। खैर खालिद ने संज्ञान लिया और उसका अंतिम संस्कार कराया। हजारीबाग में खालिद को कौन नहीं जानता। जिस लाश का कोई वारिस नहीं उसका खालिद है। अंतिम संस्कार कराता है। हजारीबाग के पत्रकार विकास सिंह बताते हैं कि खालिद अब तक कोई दो हजार से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं। सुकून पाने का यह खालिद का जुनून है।