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हरियाणा की मंडियों में यूपी, राजस्थान के किसानों की गेहूं खरीद नहीं, पोर्टल पर पंजीकरण जरूरी

चंडीगढ़, किसान आंदोलन के बीच हरियाणा की मंडियों में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरु हो गई है। कोरोना के...
हरियाणा की मंडियों में यूपी, राजस्थान के किसानों की गेहूं खरीद नहीं, पोर्टल पर पंजीकरण जरूरी

चंडीगढ़, किसान आंदोलन के बीच हरियाणा की मंडियों में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरु हो गई है। कोरोना के फैलते संक्रमण के चलते सरकार ने मंडियों में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर किसानों का पंजीकरण अनिवार्य किया है, पर पहले दो दिनों में कई शहरों में इस पोर्टल पर पंजीकरण न हो पाने की वजह से किसान मंडियों में फसल नहीं ला पाए। इस पंजीकरण के चलते हरियाणा से लगते यूपी, राजस्थान के किसान हरियाणा की मंडियों में गेहूं की फसल नहीं बेच पाएंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि पहले हरियाणा के किसानों की फसलें खरीदी जाएंगी। उसके बाद अन्य प्रदेशों के किसानों की फसल खरीदने पर विचार होगा।

पंजीकृत किसानों को मंडी में फसल लाने से एक दिन पहले एसएमएस पर फसल लाने बारे सूचना दी जाती है।  पोर्टल पर 100 फीसदी किसानों के पंजीकरण के दावे के विपरित जिला जींद में ही 50 प्रतिशत  किसानों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। सरकार ने अब दो दिन 5 व 6 अप्रैल को पोर्टल फिर से खोलने की अनुमति दी है। कुछ जगहों पर  पोर्टल पर पंजीकृत किसान एसएमएस के बावजूद गेहूं लेकर नहीं पहुंचे तो कई इलाकों में बिना मैसेज के ही किसान गेहूं लेकर मंडियों में पहुंच गए। मंडियों में आढ़तियों ने बिना मैसेज के आए गेहूं को ट्रालियों उतरवा भी लिया लेकिन खरीद नहीं होने से परेशान किसानों ने कुछ जगह पर विरोध प्रदर्शन भी किए। अभी मंडियों में गेहूं की आवक नाममात्र है। खरीद एजेंसियों को उम्मीद है कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते से मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ सकती है। बंपर पैदावार की उम्मीद में इस बार हरियाणा में सरकारी गेहूं खरीद 70 लाख टन के पार जा सकती हे,पिछले साल राज्य में 65 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।

हालांकि सरकार ने पिछले साल की तर्ज पर सीधे किसानों के बैंक खाते में फसलों के भुगतान का फैसला किया है पर आढ़तियों के ढाई फीसदी कमीशन को लेकर पेंच फंसा हुआ है। हरियाणा आढ़ती ऐसोसिएशन के अध्यक्ष बीसी गुप्ता का कहना है कि कमीशन पेमेंट को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई जिसे लेकर व्यापारियों ने करनाल मंडी में पांच अप्रैल को प्रदेशस्तरीय बैठक बुलाई है। किसानों को भुगतान के मसले पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि संबंधित जिला उपायुक्त सुनिश्चित करें कि जे-फार्म जारी होने के 24 घंटे के अंदर फसल का उठान हो जाए और 72 घंटे में पैसा किसान के खाते में पहुंच जाए। 72 घंटे मेंं भुगतान न होने के स्थिति में केंद्रीय खरीद एजेंसी एफसीआई 9 फीसदी वार्षिक ब्याज दर से किसान को ब्याज का भुगतान करेगी। बारदाना की कमी के चलते कुछ मंडियों को बारदाना मुक्त किया गया है। बारदाना मुक्त मंडियों में आने वाली गेहूं के गेटपास काटकर सीधी गोदाम में भेजी जाएगी। भाकियू ने सरकार के इस फैसले का भारी विरोध किया है।

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