मणिपुर के एक गांव में मई महीने में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने की घटना पर देशभर में व्याप्त आक्रोश के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि इस घटना से 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है। वहीं, उच्चतम न्यायालय ने इसे ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताया।
मणिपुर पुलिस ने सेनापति जिले के एक गांव में दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और भीड़ द्वारा उनसे छेड़छाड़ किए जाने संबंधी चार मई की घटना के वीडियो में नजर आ रहे मुख्य आरोपियों में से एक को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि वह सभी आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे और मृत्युदंड दिलाने का प्रयास भी करेंगे। उन्होंने कहा कि बुधवार को घटना का 26 सैकंड का वीडियो सामने आने के तुरंत बाद पुलिस की कई टीम का गठन किया गया था और कथित मुख्य साजिशकर्ता बताए जा रहे व्यक्ति को थाउबल जिले से गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मणिपुर की घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है और इस क्रूर घटना के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले, मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देशवासियों को विश्वास दिलाया कि इस मामले में कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा।
उन्होंने कहा, ‘मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है…इसके दोषियों को कभी माफ नहीं किया जा सकता है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं इस लोकतंत्र के मंदिर के पास खड़ा हूं तब मेरा हृदय पीड़ा से भरा हुआ है, क्रोध से भरा हुआ है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं, और कौन-कौन हैं, वह अपनी जगह पर है… लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है।’
प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से अपने-अपने राज्यों में कानून-व्यवस्था को और मजबूत करने और खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने का आग्रह किया।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ट्वीट किया, ‘अत्यंत अपमानजनक और अमानवीय कृत्य की शिकार, जैसा कि व्यथित करने वाले वीडियो में दिखता है, दोनों महिलाओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में गहन जांच चल रही है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिसमें मृत्युदंड की संभावना पर भी विचार किया जाएगा। स्पष्ट करता हूं कि हमारे समाज में इस तरह के घृणित कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है।’
इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय ने भी क्षोभ प्रकट किया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस वीडियो पर संज्ञान लिया और केंद्र तथा मणिपुर सरकार से फौरन कार्रवाई करने को कहा। उसने कहा कि तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना पूरी तरह अस्वीकार्य है और ये दृश्य संविधान और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन दर्शाते हैं।
पीठ ने कहा, ‘मणिपुर में दो महिलाओं की जिस तरीके से परेड करायी गयी है, उसके कल आये वीडियो से हम बहुत व्यथित हैं।’ भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे।’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि साम्प्रदायिक रूप से तनावपूर्ण इलाके में हिंसा को अंजाम देने के हथियार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल ‘बहुत व्यथित’ करने वाला है तथा यह ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ है। उन्होंने कहा, ‘यह संवैधानिक और मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।’ उन्होंने कहा कि अदालत इस तथ्य से अवगत है कि बुधवार को सामने आया यह वीडियो चार मई का है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित रही। विपक्ष ने मणिपुर में करीब दो महीने से जारी जातीय हिंसा पर संसद में प्रधानमंत्री मोदी के बयान देने और उसके बाद चर्चा कराने की मांग की। दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया, जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार और राज्यसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियों के नेताओं ने संसद की कार्यवाही प्रारंभ होने से पहले बैठक कर सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा की और मणिपुर हिंसा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘मणिपुर में मानवता मर गयी है’।
बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘26 पार्टियों वाले ‘इंडिया’ की मांग बिल्कुल स्पष्ट है। प्रधानमंत्री को संसद के दोनों सदनों में 3 मई, 2023 के बाद से मणिपुर में हुए भयावह और दुखद घटनाक्रम पर बयान देना चाहिए और फिर इसके बाद चर्चा होनी चाहिए।’
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते। उधर, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग करते हुए गुरुवार को कार्यस्थगन के नोटिस दिए थे।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सैयद नासिर हुसैन ने नियम 267 के तहत दिए नोटिस में शून्यकाल, प्रश्नकाल और अन्य विधायी कार्य स्थगित करके चर्चा की मांग की। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी नियम 267 के तहत नोटिस देकर उच्च सदन में मणिपुर के विषय पर चर्चा का आग्रह किया। आप सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘एक संवेदनाहीन और क्रूर नेता देश का नेतृत्व कर रहा है। मणिपुर जल रहा है और मोदीजी मौन हैं।’
मणिपुर के ‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) के एक प्रवक्ता के मुताबिक, ‘घृणित’ घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं तथा उनसे मिन्नतें कर रही हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
बता दें कि मणिपुर में करीब दो माह से जातीय हिंसा हो रही है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने पहली बार सार्वजनिक टिप्पणी की है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जबकि अनेक घायल हुए हैं। विपक्षी दल इसके बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साध रहे हैं।