बिहार विधानसभा में आज भागलपुर के सृजन घोटाले को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दल राजद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी के इस्तीफे की मांग की।
आरजेडी के सदस्य स्पीकर की कुर्सी के पास आ गए और नारेबाजी करने लगे। विपक्ष का आरोप है कि सृजन नाम के जिस एनजीओ के खाते में पैसे ट्रांसफर हुए, उनमें सरकारी कर्मचारी और बैंक कर्मचारी शामिल हैं।
इस दौरान नीतीश कुमार सदन में मौजूद नहीं थे। वे बाढ़ का हवाई सर्वेक्षण करने के लिए अररिया गए हुए थे। आरजेडी की नेता और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने सदन के बाहर मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, ''स्वास्थ्य विभाग का पैसा खाते से पिछले साल नवंबर में चोरी किया। क्या इसके लिए तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव को दोषी ठहराया जा सकता है?''
इस मुद्दे पर लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई जांच की मांग की है, जिसके जवाब में सुशील मोदी ने कहा कि सीबीआई जांच से हमें कोई समस्या नहीं है।
सोमवार को राज्य पुलिस के चीफ पीके ठाकुर ने कहा था कि अब तक की जांच में 870.88 करोड़ का घोटाला सामने आया है और 18 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
बता दें कि सृजन घोटाले के एक आरोपी महेश मंडल की मौत हो गई थी। महेश किडनी और कैंसर की बीमारी का इलाज करा रहे थे। महेश की गिरफ्तारी पिछले रविवार को भागलपुर से हुई थी, हालांकि गिरफ्तारी के बाद भी उनका इलाज एक अस्पताल में चल रहा था। परिवारवालों का आरोप है कि महेश की मौत जेल और पुलिस की लापरवाही का परिणाम है।
क्या है सृजन घोटाला?
भागलपुर में सरकारी खातों से जालसाजी और षडयंत्रपूर्ण तरीके से पैसों की निकासी एवं दुरुपयोग के संबंध में दर्ज कांडों की जांच के क्रम में पाया गया कि यह मामला काफी लंबे समय से चल रहा था। इस घोटाले में बहुत बड़ी राशि सरकारी खातों से सृजन नाम के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के खाते में ट्रांसफर की गई है।
पुलिस चीफ ठाकुर के मुताबिक, 2003 का एक पत्र बरामद हुआ है, जिसमें एक जिलाधिकारी द्वारा उक्त संस्था में राशि जमा किए जाने निर्देश दिया गया है, जिसका सत्यापान कराया जा रहा है वह फर्जी है या सही है।
अब तक सामने आए मामले में, इस पूरे घोटाले में मनोरमा देवी नामक महिला का नाम सामने आ रहा है जिनका इस साल फरवरी में निधन हो गया। सृजन नाम का गैर सरकारी संगठन उन्होंने ही शुरू किया था। मनोरमा देवी की मौत के बाद उनकी बहू रजनी प्रिया और बेटा अमित कुमार पर पुलिस को शक है। प्रिया झारखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनादि ब्रह्मा की बेटी है जो पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय के करीबी माने जाते हैं।
मनोरमा देवी और उनकी संस्था सृजन को शुरू के दिनों में कई आईएएस अधिकारियों ने बढ़ाया।किसी जिला अधिकारी के कार्यकाल में अगर सबसे ज्यादा सृजन के खाते में पैसा गया तो वो था वीरेंद्र यादव, जिसके 2014 से 2015 के बीच कार्यकाल में करीब 285 करोड़ सृजन के खाते में गया। वीरेन्द्र भी लालू यादव के करीबी माने जाते हैं।
अभी तक की जांच में ये पाया गया कि सरकारी राशि को सरकारी बैंक खाता में जमा करने के बाद तत्काल अवैध रूप से साजिश के तहत या तो जाली दस्तखत या बैंकिंग प्रक्रिया का दुरुपयोग कर ट्रांसफर कर लिया जाता था. जब भी किसी लाभार्थी को चेक के द्वारा सरकारी राशि का भुगतान किया जाता था तो उसके पूर्व ही अपेक्षित राशि सृजन द्वारा सरकारी खता में जमा कर दिया जाता था।
इस सरकारी राशि के अवैध ट्रांसफर में सृजन के सचिव मनोरमा देवी के अलावा, सरकारी पदाधिकारी और कर्मचारी और दो बैंको - बैंक ऑफ़ बरो़ड़ा और इंडियन बैंक के पदाधिकारी और उनके कर्मचारी पूरे साजिश में सक्रिय रूप से शामिल होते थे।
जिला प्रशासन से सम्बंधित बैंक खातों के पासबुक में एंट्री भी फर्जी तरीके से की जाती थी। स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट को बैंकिंग सॉफ्टवेयर से फर्जी तरीके से तैयार किया जाता था। मनोरमा देवी सृजन के खाते में जमा पैसा को बाजार में ऊंचे सूद पर देती थी या अपने मनपसंद लोगों को जमीन, व्यापार या अन्य धंधे में निवेश करने के लिए देती थी। पूरी साजिश में शामिल अधिकारियों को भी
पिछले साल नोटबन्दी के बाद सृजन के काम काज पर भी असर पड़ा। माना जा रहा है कि पैसा फंस जाने के कारण असल मुश्किलें शुरू हुईं और चेक बाउंस होने का सिलसिला शुरू हो गया।
पुलिस चीफ पीके ठाकुर ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया कि जिला स्तर पर सरकारी खाते से किसी दूसरे खाते में राशि का हस्तांतरण किया गया है और यह संगठित तौर किया जा रहा था। दूसरे राज्य में सृजन की राशि अन्य राज्यों में जाने के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने इस बिंदु पर स्पष्ट रूप कोई जवाब देने से इनकार करते हुए कहा कि कई जगहों की बात आई है पर जब तक उसका सत्यापन नहीं हो जाता, कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।