आनंदीबेन ने प्रधानमंत्री को राज्य में सूखे की स्थितियों से अवगत कराया और राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि जल संरक्षण, जलाशयों का निर्माण और जल संचयन को लेकर प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1.68 लाख छोटे बांध, 2.74 लाख सिंचाई तालाब, 1.25 लाख बोरी बांध बनाए गए हैं। इसमें जल जमा करने की क्षमता 42.3 बिलियन क्यूबिक फीट है। इससे 6.32 लाख हेक्टेयर भूमि को फायदा हो रहा है। पाइप के जरिए राज्य में 77 फीसदी घरों में जलापूर्ति की जा रही है। लगातार दूसरे साल कम बारिश होने के बाद भी राज्य जल ग्रिड के लिए किए कार्य का नतीजा है कि दूर दराज के लिए इलाकों में जल वितरण के लिए सिर्फ 568 टैंकर की ज़रुरत पड़ी है। प्रधानमंत्री ने इन प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस दिशा में और कार्य किए जाए ताकि टैंकर से पानी की आपूर्ति को पूरी तरह से खत्म किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य ने सूक्ष्म सिंचाई के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 3789 गांवों में सौ फीसदी छिड़काव और रिसाव के जरिए सिंचाई के लक्ष्य को हासिल किया है। राज्य की ओर से किए गए उपाय का नतीजा है कि काफी मांत्रा में मिट्टी में पानी सोखने वाले तत्वों का इस्तेमाल किया गया है। कम और बारिश होने और लगातार दो साल सूखे के बाद भी राज्य में फसल उत्पादन करीब सामान्य उत्पादन का 95 फीसदी हुआ है। सरदार सरोवर सिंचाई योजना के तहत बड़े पैमाने पर नहरों के निर्माण से फसलों की पैदावार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है और इससे कृषि से होने वाली आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री ने बागबानी और नकदी फसल को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। मछली व्यवसाय, मधुमक्खी पालन, पर्ल कल्चर और समुद्री शैवाल को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे उपायों पर भी चर्चा की गई। बैठक में राज्य और केंद्र को मिलकर काम करने की बात कही गई।