मोदी सरकार के कार्यकाल में स्थापित देश की पहली रेल रेलवे यूनिवर्सिटी में "कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट" यानी सरकारी अधिकारी का ऐसा निर्णय जो उसकी व्यक्तिगत रूचि से प्रभावित हो। इसी तरह के आरोप इस मामले में लग रहे हैं। दरअसल, वड़ोदरा स्थित रेलवे यूनिवर्सिटी ने तमाम आपत्तियों के बाद भी अपने ही बोर्ड सदस्य प्रथम राज सिन्हा को 6 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया है। प्रथम राज सिन्हा भारतीय रेलवे की ओर से संचालित किए जा रहे रेलवे यूनिवर्सिटी के प्रबंधक बोर्ड के सदस्य हैं।
जानिए क्या है पूरी वारदात
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रथम राज सिन्हा की कंपनी नाइन डॉट नाइन (9dot9) को अप्रैल में कंसलटेंसी के लिए 65 लाख रुपये का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। लगभग 9 महीने का यह ठेका सरकार के राष्ट्रीय रेल परिवहन संस्थान (एनआरटीआई) के लिए मिला था। जो एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने "कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट" को लेकर सरकार की ओर से बनाए गए नियमों का हवाला देते हुए इस कॉन्ट्रैक्ट को दे दिया। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब रेलवे यूनिवर्सिटी ने प्रथम राज सिन्हा की कंपनी को नियमों को तोड़ते हुए ठेका दिया है।
एक साल पहले भी सिन्हा की एक और कंपनी हड़प्पा एजुकेशन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रबंधन के प्रशिक्षम का काम मिला था। सूत्रों के मुताबिक यह अनुबंध लगभग दो साल का है। इसके लिए अभी तक सिन्हा की कंपनी को 40 लाख रुपये तक की राशि दी जा चुकी है। इन सब के बाद भी अप्रैल में रेलवे ने प्रथम सिन्हा की कंपनी 9dot9 को फिर से कॉन्ट्रैक्ट दे दिया।
पूरे मामले में जवाब-सवाल
भारतीय रेलवे की पीएसयू कंपनी राइट्स द्वारा जून में सिन्हा की कंपनी 9dot9 के साथ हुए अनुबंध किया गया। इस पूरे मामले में जब प्रथम सिन्हा से बात की गई तो उन्होंने पलड़ा झाड़ते हुए कहा कि इस मामले पर आप रेलवे यूनिवर्सिटी की अंतरिम कुलपति अलका अरोड़ा मिश्रा से बात कर सकते हैं। इसके बाद जब मिश्रा से इस मामले में प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने रेल मंत्रालय के प्रवक्ता के माध्यम से कहा कि यह सारे कॉन्ट्रैक्ट नियमों और उचित प्रक्रिया से मुताबिक दिए गए हैं।