इन दिनों पूरे देश में लॉकडाउन के बीच बुधवार को तड़के अयोध्या में एक नया इतिहास रचा गया। 492 साल बाद बुधवार को रामलला को चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया गया। मंदिर निर्माण तक वे इसी सिंहासन पर अस्थायी रूप से बने फाइवर के एक मंदिर में विराजमान रहेंगे। इससे पहले चैत्र नवरात्र के पहले दिन गर्भगृह में रात 2 बजे पूजा प्रारंभ हुई। करीब एक घंटे चली इस पूजा में मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने उनका श्रृंगार किया, उन्हें भोग लगाया और फिर आरती की गई।
आरती के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गर्भगृह से लेकर उन्हें बाहर आए और नए फाइवर के मंदिर में स्थापित कर पूजा अर्चना की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने नवगठित ट्रस्ट के चंपत राय को दान के रूप में 11 लाख रुपये का चेक सौंपा।
मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के मुताबिक, श्रीरामलला के साथ ही उनके भाइयों व हनुमान जी को अलग-अलग पालकियों में बैठाकर अस्थायी मंदिर की ओर ले जाया गया। मंत्रोंच्चार के बीच गर्भगृह से रामलला को नए मंदिर में प्रतिस्थापित किया गया। नए मंदिर में एक बार फिर उनकी पूजा अर्चना की गई। एक बार फिर उनका श्रृंगार किया गया। सुबह 7 बजे तक यह पूजा चली। रामलला को अब श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। लेकिन कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते बाहरी लोगों को अयोध्या पहुंचने की इजाजत नहीं है।
प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस क्षण को ऐतिहासिक बताया है और इस मौके पर मौजूद नहीं हो पाने के लिए अफसोस जाहिर किया है। उन्होंने रामलला के नए मंदिर की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा है, “करोड़ों भक्तों के आराध्य श्रीरामलला को 1992 से फटे तिरपाल के नीचे रहने के बाद नव संवत्सर 2077 बृम्हमूहुर्त की पवित्र बेला पर चारों भाइयों के संग अस्थायी मंदिर (फाइवर) के नीचे सिंहासन पर विराजमान देख परमानंद हो रहा है। काश मैं भी प्रत्यक्ष प्रथम दर्शन कर पाता।”