चंडीगढ़। अपनी मेहनत, लगन और अनूठे आइडिया से चंडीगढ़ को रॉक गार्डन जैसी पहचान देने वाले नेक चंद का निधन हो गया है। वह 90 वर्ष के थे। मुधमेह सहित कई बीमारियों से पीड़ित नेक चंद ने गुरुवार रात करीब सवा बारह बजे पीजीआई चंडीगढ़ में आखिरी सांस ली। उन्हें कल शाम ही गंभीर हालत में पीजीआई में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान किडनी फेल हो जाने से उनकी मौत हो गई। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए रॉक गार्डन में रखा जाएगा। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके निधन से चंडीगढ़ के लोगों और कला प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है।
15 दिसंबर 1924 को पाकिस्तान में जन्मे नेक चंद विभाजन के बाद भारत आ गए थे। चंडीगढ़ में उन्होंने रोड इंस्पेक्टर के तौर पर काम करना शुरू किया। वह दिन भर साइकिल पर घूम-घूमकर चंडीगढ़ की सड़कों से टूटा-फूटा और बेकार समान इकट्ठा करते और एक जगह जमा कर देते थे। इस कबाड को उन्होंने अपनी मेहनत और रचनात्मकता से खूबसूरत कलाकृतियों का रूप दे दिया। इस तरह करीब चालीस साल पहले रॉक गार्डन का निर्माण हुआ।
नेक चंद बताते थे कि इधर-उधर फेंके गए कचरे और बेकार सामानों को देखकर उन्हें कुछ नया करने की सूझी। फिर क्या था वे दिन-रात बेकार चीजों को इकट्ठा करने में जुट गए। यही कोशिश आगे चलकर रॉक गार्डन के रूप में सामने आई। इस अनूठे गार्डन को देखने दुनिया भर से लोग चंडीगढ़ आते हैं। हाल ही में मुंबई एयरपोर्ट पर भी उनकी कलाकृति ने काफी प्रशंसा बटोरी। उन्हें 1984 को उन्हें पद्मश्री से सम्मानति किया गया था।