पिछले कुछ समय से गुजरात में कई सामाजिक आंदोलन हुए हैं, जिसके कारण प्रदेश भाजपा की पैठ बढ़ी है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद हुए जिला पंचायत व नगरपालिका चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। अगस्त 2016 में भाजपा ने सरकार व संगठन में बड़ा फेरबदल कर एक तरह से अपना खोया आधार पाने का प्रयास किया। इसके साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संघ भी अब पूरी तरह सक्रिय हो गया है। राय की दो सौ तहसीलों में संघ सद्भावना बैठक कर चुका है तथा 500 बैठकें और करेगा।
संघ के सूत्रों ने बताया कि जिस प्रकार अब तक गुजरात मॉडल चला अब एकात्म मानववाद को मॉडल बनाया जाएगा। कॉमन सिविल कोड, चाइनीज पटाखों पर प्रतिबंध, स्वदेशी को बढ़ावा देकर देश में रोजगार उत्पन्न करने के केंद्र व राय सरकार के अभियान का संघ ने समर्थन किया है। संघ ने कहा है कि देश में आर्थिक विषमता को खत्म करना, जिहादी आतंकवादका सामना करने तथा पर्यावरण असंतुलन से मुकाबला करने पर भी मंथन हुआ।
संघ का कहना है कि मल्टी नेशनल कंपनियां पूंजीवाद का बड़ा कारण हैं। दुनिया की अर्थव्यस्था को 50 बड़ी कंपनियों ने जकड़ रखा है। हालांकि संघ वाईब्रेंट गुजरात महोत्सव से कोई मतलब नहीं रखता है। इस महोत्सव में दुनिया की नामी कंपनियां हिस्सा लेती हैं। लेकिन गुजरात में दलितों की पिटाई पर उनका कहना है कि समाज में इस प्रकार के कृत्य निंदनीय हैं।
संघ चालक ने बताया कि केरल में मार्क्सवादी कार्यकर्ता आरएसएस कार्यकर्ताओं पर बर्बरता पूर्ण हिंसक हमले कर रहे हैं। मलकान ने स्वदेशी पर जोर देते हुए कहा कि संघ हमेशा से स्वदेश व स्वरोजगार को बढ़ावा देने के पक्ष में रहा है। प्रचार प्रमुख विजय ठाकर ने बताया कि देश में संघ की शाखाओं की संख्या 52 हजार 102 पहुंच गई है जबकि साप्ताहिक मिलन 13 हजार 734 व संघ मंडल की संख्या 8121 है। गुजरात में 1374 दैनिक शाखा व साप्ताहिक मिलन 716 हैं। संघ मंडल की संख्या 547 है। संघ की ओर से देशभर में करीब डेढ़ लाख स्थलों पर सेवा कार्य चल रहे हैं।