राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर दबाव और बढ़ा दिया है। बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व के कहने पर ही कुमार की नियुक्ति हुई है। कुमार ने एक सितंबर से सीएम सचिवालय में बतौर ओएसडी काम शुरू कर दिया है। वे सीएम हाउस में कामकाज देखेंगे। देशभर से ऐसे 35 लोगों को सरकार की सेवाओं में लाया गया है। डॉ. कुमार हाल ही में भोपाल आए हैं। इससे पहले वह छत्तीसगढ़ में दस साल तक देना बैंक में काम करते रहे। संघ के इस निर्णय को अमल में लाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों ओर से तुरंत एनओसी दे दी गई। हालांकि कहा जा रहा है कि राज्य सरकार ने डॉ. कुमार की सेवा की मांग की थी। देशभर के जिन 35 लोगों को अलग-अलग जगह भेजा गया, वे बैंक की ही तरह किसी न किसी दूसरे कैडर से हैं। डॉ. कुमार को प्रतिनियुक्ति पर लेने का आदेश राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 अगस्त को निकाला था। राज्य सीएमओ के लोगों का कहना है कि डॉ. कुमार ओएसडी बनने से पहले कभी मुख्यमंत्री से नहीं मिले।
अपने मंत्रियों के यहां आरएसएस या खुद के भरोसे का अधिकारी रखवाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली रही है। यह अकेला मामला नहीं है जिसमें संघ से जुड़े लोगों को एक-एक कर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों के यहां पदस्थ किया गया है। दरअसल ऐसा उनकी कार्यशैली पर सीधे नजर रखने के मकसद से किया जा रहा है। सीएम सचिवालय के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के राज में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी केंद्रीय सेवा, खास तौर पर बैंक सेवा से जुड़े शख्स की पोस्टिंग हुई है। कुमार को मिलाकर सीएम सचिवालय में अब आठ ओएसडी हो गए हैं। अन्य ओएसडी हैं, डॉ. कोमल सिंह, आरके माथुर, अरुण भट्ट, बनवारी सक्सेना, आकाश श्रीवास्तव, हरीश सिंह और प्रशांत श्रीवास्तव। इसमें कोमल सिंह, माथुर, अरुण भट्ट और बनवारी सक्सेना की रिटायर होने के बाद पदस्थापना की गई है। डॉ. कुमार का कहना है कि राज्य सरकार ने मांग की थी इसीलिए प्रतिनियुक्ति पर आए हैं। कुमार ने स्पष्ट कहा, मेरी विचारधारा संघ की है तो क्या हुआ। बैंक से जुड़े लोग सीबीआई या इकॉनोमिक ऑफेंस जैसे मामलों की पड़ताल के लिए प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं। उन्होंने कहा, जो काम मिला है उसे करूंगा। मैं दिल्ली व छत्तीसगढ़ भी रहा हूं। अब सीएम सचिवालय में हूं।