गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने 17 लोगों की उम्रकैद की सजा पर मुहर लगा दी। हालांकि निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए 31 लोगों में से 14 को उच्च न्यायालय ने सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया। सरदारपुरा मामले में पुलिस ने 76 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से दो की मौत मुकदमे की सुनवाई के दौरान हो गई, वहीं एक आरोपी किशोर था। अदालत ने जून 2009 में 73 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर मामले में मुकदमा शुरू किया था। निचली अदालत ने 31 को दोषी ठहराने के अलावा 42 अन्य को बरी कर दिया था। एसआईटी ने बाद में इन 42 में से 31 लोगों को बरी किए जाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। हालांकि उच्च न्यायालय ने इन 42 में से 31 लोगों को बरी करने के मेहसाणा जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखा था।
इस बीच उच्च न्यायालय ने 17 लोगों को हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा भड़काने और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया। उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा सुनाई गई साजिश की कहानी को स्वीकार नहीं करने के निचली अदालत के फैसले को भी बरकरार रखा। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि अल्पसंख्यक समुदाय पर सुनियोजित तरीके से हमला किया गया था और गोधरा ट्रेन कांड के बाद साजिश रची गई थी।