हरियाणा सरकार को आज उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने संबंधी राज्य के चुनाव कानून में संशोधनों पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की पीठ ने इस संबंध में उस समय अंतरिम आदेश पारित किया जब उनके समक्ष हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) कानून, 2015 का उल्लेख किया गया। याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि यह प्रावधान पक्षपातपूर्ण है क्योंकि शैक्षणिक योग्यता के आधार पर यह व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोकता है।
न्यायालय ने इस मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने संबंधी प्रावधानों पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि इस संशोधन से 83 फीसदी दलित महिलाओं और सामान्य वर्ग की 71 फीसदी महिलाओं के साथ ही 56 प्रतिशत पुरूषों के चुनाव लड़ने का मौलिक अधिकार प्रभावित होगा।
हरियाणा सरकार के किए गए संशोधन के तहत पंचायत चुनाव लड़ने वाले सामान्य वर्ग के उम्मीदवार का मैट्रिक होना अनिवार्य कर दिया गया है जबकि सामान्य वर्ग की महिला और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आठवीं पास होना अनिवार्य किया गया है। संशोधन के मुताबिक पंच का चुनाव लड़ने वाली अनुसूचित जाति वर्ग की महिला के लिए न्यूनतम पांचवी पास होना अनिवार्य है। यह संशोधन विधेयक हरियाणा विधानसभा के हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के अंतिम दिन पारित कराया गया था। हरियाणा के अलावा राजस्थान सरकार ने भी पंचायत राज संस्थानों के चुनावों के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की है।