उत्तर प्रदेश में चालू 2017-18 गन्ना पेराई सत्र में अब तक करीब 10 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आएगी जब प्रदेश की सभी मिलें चलने लगेंगी। पिछले पेराई सत्र में इस समयावधि में करीब 5 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
उत्तर प्रदेश भारत में चीनी उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी है और पिछले पेराई सत्र में उसने करीब 87.5 लाख टन का उत्पादन कर के महाराष्ट्र को पछाड़ दिया था। बढे हुए गन्ना क्षेत्रफल और बेहतर प्रजाति के बीजों के सहारे प्रदेश सरकार इस पेराई सत्र में कुल 110 लाख टन चीनी उत्पादन का लक्ष्य ले कर चल रही है।
वहीं, किसानों के समूचे भुगतान की राशि भी पिछले साल के 25,000 करोड़ रुपए के मुकाबले 30,000 करोड़ रुपए के आस-पास होने की सम्भावना है। अब तक, उप्र में करीब 100 चीनी मिलें चल चुकी हैं। बाकी की 19-20 मिलें अगले सप्ताह तक शुरू हो जाएंगी।
उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी के अनुसार प्रदेश में अब तक चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को 1500 करोड़ से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार सभी चीनी मिलों नें करीब 105 लाख टन गन्ने की पेराई की है और तकरीबन 10 लाख टन चीनी उत्पादन किया है। चीनी रिकवरी करीब 9.75% पर रही है जो कि पिछले साल इसी अवधि में 9.66% से अधिक है।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने पेराई सत्र शुरू होने से पहले ही चीनी मिलों को समय से भुगतान करने हेतु निर्देश दिए थे अन्यथा कठोर कार्यवाही की चेतावनी दी थी।
26 अक्टूबर को योगी सरकार ने इस सत्र में गन्ने का राज्य मूल्य प्रति क्विंटल 10 रुपए की दर से बढ़ा दिया था, जिसके चलते सामान्य प्रजाति के गन्ने का मूल्य 305 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 315 रुपए प्रति क्विंटल हो गया था।