2006 के बहुचर्चित निठारी कांड में सीबीआई अदालत ने सुरेंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर को दोषी पाया है। अदालत 24 जुलाई को इस पर फैसला सुनाएगी। ये पिछले कई मामलों में पिंकी सरकार (20) से जुड़ा आठवां मामला है। बता दें कि सीबीआई को मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे से खोपड़ी और कपड़े मिले थे। मोनिंदर के नौकर सुरेंदर कोली ने बच्चियों से बलात्कार, उन्हें मारकर खाने की बात कबूली थी। 2007 में पिंकी के घर वालों ने एफआईआर दर्ज करवाई थी।
सुरेंदर कोली पर ऐसे 16 मामले दर्ज हैं। 6 मामलों में उसे पहले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
कैसे आया था मामला सामने
2006 में रूह कंपा देने वाला ये केस तब सामने आया जब निठारी के दो परिवारों की बच्चियां गायब हो गईँ। उन्हें मकान नंबर डी-5 में काम करने वाले सुरेंदर कोली पर शक था। घर के पीछे के टैंक को खंगाला गया तो वहां से शरीर के कुछ अंग मिले। घर के आस-पास ऐसे कई दूसरे अंग मिले, जिन्हें जमीन में गाड़ा गया था। बाद में सुरेंदर कोली ने कई बच्चियों और एक औरत से बलात्कार के बाद जान से मारने और उन्हें खाने की बात कबूली थी। सुरेंदर कोली के साथ घर का मालिक मोनिंदर पंधेर भी शक के दायरे में आया। सरकार पर दबाव की वजह से सीबीआई के पास केस आया।
13 फरवरी 2009 को इससे जुड़ा पहला बड़ा फैसला आया। गाजियाबाद की स्पेशल कोर्ट ने रिम्पा हलदर (14) के मामले में कोली और पंधेर दोनों को दोषी पाया। दोनों को फांसी की सजा हुई। इस मामले में चौंकाने वाली बात ये थी कि सीबीआ ने इस मामले में मोनिंदर कोे क्लीन चिट दी थी।
इस मामले में आए फैसलों पर एक नज़र:
4 मई 2010- आरती प्रसाद (7) की हत्या के मामले में कोली को दोबारा फांसी
27 सितंबर 2010- रचना लाल (9) की हत्या के मामले में कोली को तीसरी बार फांसी
22 दिसंबर 2010- दीपाली सरकार (12) की हत्या के मामले में कोली को चौथी बार फांसी
15 फरवरी 2011- सुप्रीम कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा बरकरार रखी।
24 दिसंबर 2012- छोटी कविता (5) की हत्या के मामले में कोली को पांचवीं बार फांसी
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था और मोनिंदर को बेल मिल गई थी।