राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाने वाली तमिलनाडु की दलित लड़की अनिता ने आत्महत्या कर ली। अनिता ने कुझुमुर गांव स्थित अपने ही घर में रस्सी से फांसी लगा ली। 17 साल की अनिता डॉक्टर बनना चाहती थी। अनिता के परिवारवालों को राज्य सरकार ने 7 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है।
Tamil Nadu: Anitha, a Dalit girl from Ariyalur district, who argued against NEET in Supreme Court, allegedly committed suicide.
— ANI (@ANI) September 1, 2017
वहीं अनिता की मौत से गुस्साये स्थानीय लोगों ने गांव में सड़क पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया और अन्नाद्रमुक की अगुवाई वाली राज्य सरकार की निंदा की। दूसरी तरफ अलग-अलग छात्र संगठनों ने इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एसएफआई सदस्यों ने भी अनिता की मौत चैन्नई के माउंट रोड़ पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया है।
Tamil Nadu: Students' Federation of India members protest at Chennai's Mount Road over death of #Anitha's who appealed against NEET in SC. pic.twitter.com/UrodJMpK6P
— ANI (@ANI) September 2, 2017
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने इस आत्महत्या के लिए केंद्र और राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। अनीता के माता-पिता को उनकी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अध्यक्षता वाली राज्य सरकार और केंद्र सरकार को उनकी मृत्यु की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने शुरू में आश्वासन दिया था कि तमिलनाडु को नीट से एक साल की छूट मिलेगी।"
Chennai: Protest by Revolutionary Students and Youth Front (RSYF) members over the death #Anithaa; Protesters detained by Police. pic.twitter.com/JKwA3vtrmn
— ANI (@ANI) September 2, 2017
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अनिता के पिता ने बताया, "अनीता बड़ी मुश्किलों से लड़ते हुए इस मुकाम पर पहुंची थी, मेडिकल के लिए सीट हासिल न कर पाने को लेकर काफी परेशान थी, उसने क्या गलत किया, कौन जवाब देगा?"
#Anitha managed to study in difficult circumstances. She was concerned about NEET. What wrong had she done,who will answer?: Anitha's father pic.twitter.com/7oibWB86Ie
— ANI (@ANI) September 2, 2017
क्या था मामला?
अनीता ने 12वीं की पढ़ाई तमिलनाडु स्टेट बोर्ड से की थी। उसके इस एग्जाम में 98 पर्सेंट नंबर आए थे। पिछले साल तक तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ऐडमिशन 12वीं के नंबरों के आधार पर मिलता था। यानी यही नियम जारी रहता तो अनीता को मेडिकल कोर्स में ऐडमिशन आसानी से मिल जाता। लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को नीट के तहत एग्जाम और काउंसिलिंग करने का आदेश दिया।
12वीं में शानदार प्रदर्शन करनी वाली अनीता को नीट में 700 में से महज 86 अंक ही प्राप्त हुए थे। अनीता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वो एमबीबीएस में दाखिले के लिए राज्य में नीट की परीक्षा के अंकों पर निर्भरता पर रोक लगाए। अनिता ने अपनी याचिका में कहा था कि नीट के प्रश्न पत्र काफी कठिन था और पूरी तरह से सीबीएसई पर आधारित था। उसने अपनी याचिका में इस बात का जिक्र किया था कि नीट का परीक्षा प्रारूप राज्य के पाठ्यक्रम के स्टूडेंट के साथ न्याय नहीं कर रहा है। लेकिन कोर्ट ने अनीता की मांग को ठुकरा दिया।ऐसे में उसे एमबीबीएस कोर्स में दाखिला नहीं मिल पाया। इस कारण वह तनाव में थी।