राजस्थान के अलवर में गौरक्षा के नाम पर पहलू खान की हत्या मामले में राजस्थान पुलिस ने हत्या के सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है। जिसके बाद जन संगठनों ने इस कदम का भारी विरोध करना शुरू कर दिया है।
राजस्थान पुलिस की ओर से पहलू खान की हत्या के छह मुख्य आरोपी जिन पर इनाम घोषित था लेकिन उन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई। हालांकि मामले के 9 अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला चलता रहेगा। पुलिस के मुताबिक सबूतों के आधार पर 6 आरोपियों को क्लीनचिट दी गई है।
क्या था मामला?
1अप्रैल को अलवर में कथित गोरक्षकों की भीड़ ने पहलू खान पर हमला किया था। डेयरी का व्यवसाय करने वाले पहलू खान की हमले के 2 दिन बाद ही मौत हो गई थी। जिस वक्त उनपर हमला हुआ उस वक्त वह राजस्थान में गाय खरीदने के बाद हरियाणा जा रहे थे। भीड़ ने उन्हें पशु तस्कर समझकर हमला किया था। इस घटना के बाद पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ नामजद तो दर्जनों अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
पहलू खान ने लिया था इन आरोपियों का नाम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस ने उन छह आरोपियों को क्लीन चिट दी है, जिनके नाम खुद पहलू खान ने मरने से पहले बताए थे। ये नाम एफआईआर में दर्ज किए गए थे, लेकिन उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया।
अब क्या कहती है पुलिस?
पुलिस सूत्रों का कहना है कि ऐसा कोई संतोषजनक सबूत नहीं मिला है जिससे ये कहा जा सके कि इन छह लोगों ने पहलू खान पर हमला किया था। वहीं एबीपी न्यूज के मुताबिक पुलिस का कहना है कि वीडियो और फोटो में ये लोग नहीं देखे गए हैं। जीपीएस डेटा से ये जानकारी मिलती है कि घटना के दौरान ये लोग मौक-ए-वारदात से काफी दूर थे।
जन संगठनों में रोष, सीएम राजे के नाम पत्र
पहलू खान की मौत के बाद जहां राजस्थान के साथ ही पूरे देश में इसे लेकर खासा अक्रोश देखा गया था। देश की सियासत भी इस मसले पर गरमाई थी। वहीं अब पहलू खान की हत्या के आरोपियों को क्लीनचिट मिलने पर भी जन संगठनों द्वारा विरोध जताया जा रहा है।
भंवर मेघवंशी, कविता श्रीवास्तव, सवाई सिंह, निखिल डे, कोमल श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में लोगों ने सूबे की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम निंदा पत्र लिखकर इसकी आलोचना की है। सीएम को लिखे पत्र में राज्य सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें राजस्थान सरकार और राजस्थान पुलिस को गौरक्षकों की गुंडागर्दी की हिमायती करार दिया है।
पत्र में सीएम राजे से मांग की गई, “अगर आप वाकई मॉब लिंचिंग जैसे जघन्य कृत्य को दिल से रोकना चाहती है तो पहलु खान और जफर खान की हत्या के मामले में कड़ी कार्यवाही करके यह स्पष्ट सन्देश दीजिये कि आप मॉब लिंचिंग को बर्दाश्त नहीं करेंगी। प्रदेश भर में दशहत का पर्याय बन चुके गौगुन्डों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का दिशा निर्देश देंगी।”
इन घटनाओं का भी किया जिक्र
जन संगठनों द्वारा लिखे पत्र में जहां पहलू खान हत्याकांड के आरोपियों को क्लीनचिट मिलने का विरोध किया गया वहीं राजस्थान में हुए गौरक्षा के नाम पर हुई अन्य घटनाओं का भी जिक्र किया गया। संगठनों ने सूबे की सरकार पर आरोप लगाया है कि अगर समय रहते कड़ी कार्यवाही की जाती तो वर्ष 2015 से गाय के नाम पर भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं पर लगाम लगाई जा सकती थी, मगर ऐसा नहीं हो पाया है। कुछ घटनाओं का हवाला देते हुए पत्र में लिखा है-
“राजस्थान में गौहिंसा के मामलों को देखें तो नागौर जिले के डीडवाना इलाके के अब्दुल गफूर कुरैशी को 30 मई 2015 को मार डाला गया, उनके हत्यारे खुलेआम घूम रहे है, कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
जयपुर में स्थित होटल रब्बानी पर 19 मार्च 2017 को बिना कोई सबूत या शिकायत के गौमांस खिलाने का आरोप लगा कर राष्ट्रीय महिला गौरक्षा दल की स्वयम्भू अध्यक्ष साध्वी कमल दीदी ने हमला बोला, नगर निगम जयपुर के मेयर अशोक लाहौटी ने कमल दीदी की इस गुंडागर्दी को सहयोग दिया और जबरन गैरकानूनी तरीके से होटल को सीज करवा दिया, बाद में एफएसएल की रिपोर्ट से पता चला कि वह गौमांस नहीं हो कर मुर्गे का मांस था। कोर्ट ने मेयर लाहौटी की होटल सीज करने की कार्यवाही को भी बदल दिया, अंततः कानूनी दखल से होटल रब्बानी चालू हो पाया, मगर साध्वी कमल दीदी खुलेआम घूम रही है।
16 जून 2017 को प्रतापगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष अशोक जैन की साजिश से नगरपालिका के कर्मचारियों ने जफर खान की पीट पीट कर हत्या कर दी, इस हत्या को 90 दिन हो जाने के बाद भी आज तक एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, इस मामले में भी गृहमंत्री कटारिया ने आरोपियों को पहले हि क्लीनचिट दे दी थी।
9 सितम्बर 2017 की रात सीकर जिले के पाटन थाना क्षेत्र के कोला की नांगल गाँव के 58 वर्षीय आदिवासी भगता राम मीना को गाय के नाम पर पीट पीट कर मार डाला गया, हत्या के 13 घंटे बाद मुकदमा दर्ज हुआ, मगर कोई पुख्ता कार्यवाही अब तक नहीं की गई।”
कोर्ट में दे सकते हैं चुनौती
जन संगठनों का कहना है कि पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए वह हर संभव प्रयास करेगा तथा पहलु खान के बेटों अजमत और रफीक को सभी प्रकार की कानूनी मदद प्रदान करेगा जिससे वे राज्य पुलिस द्वारा हत्यारोपियों को जांच के दायरे से बाहर करने के निर्णय को कोर्ट में चुनौती दे सकें।