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बिरसा के बहाने प्रधानमंत्री से लेकर मुख्‍यमंत्री तक का फोकस, जानिये क्‍या है 15 नवंबर को

26 प्रतिशत आदिवासी वाले झारखंड में भगवान बिरसा के बहाने अचानक आदिवासियों पर फोकस बढ़ गया है।...
बिरसा के बहाने प्रधानमंत्री से लेकर मुख्‍यमंत्री तक का फोकस, जानिये क्‍या है 15 नवंबर को

26 प्रतिशत आदिवासी वाले झारखंड में भगवान बिरसा के बहाने अचानक आदिवासियों पर फोकस बढ़ गया है। प्रधानमंत्री 15 नवंबर को रांची के सर्कुलर रोड स्थित बिरसा मुंडा पुरानी जेल में निर्मित बिरसा मुंडा स्‍मृति उद्यान का ऑनलाइन उद्घाटन करेंगे। सन् 1900 में महज 25 साल की उम्र में बिरसा मुंडा ने यहीं अंतिम सांस ली थी। धरती आबा बिरसा को आदिवासी भगवान बिरसा के नाम से पुकारते हैं। जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए समाजिक चेतना जगाने वाले, अंग्रेजी शासन के खिलाफ बिगुल फूंक पानी पिला देने वाले बिरसा का अबुआ दिसुम अबुआ राज (हमारा देश हमारा राज) का नारा था। 142 करोड़ की लागत से बने बिरसा मुंडा स्‍मृति उद्यान सह संग्रहालय में दूसरी सुविधाओं के अतिरिक्‍त सिदो-कान्‍हू, नीलांबर-पीतांबर, गया मुंडा, तेलंगा खड़‍िया, जतरा टाना भगत, वीर बुधु सहित 13 शहीदों की प्रतिमाएं और बिरसा मुंडा की 25 फीट की प्रतिमा भी है। इनके संघष की कहानी भी। यानी बिरसा के साथ दूसरी आदिवासी वीरों की गाथाएं भी। 15 नवंबर को इसका लोकार्पण होना है। 15 नवंबर बिरसा मुंडा की जयंती का अवसर है तो अलग झारखंड बनने का दिन भी।

यहां की 28 विधानसभा सीटें जनजातियों के लिए आरक्षित हैं मगर लंबे समय तक प्रत्‍यक्ष-परोक्ष रूप से सत्‍ता में रही भाजपा के खाते में सिर्फ दो सीट है। इसलिए भाजपा का विशेष फोसक है। कहीं न कहीं इसी को ध्‍यान में रखते हुए 23-24 अक्‍टूबर को रांची में ही भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्‍ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई। कार्यसमिति के अंतिम दिन यानी 24 अक्‍टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में बिरसा मुंडा को याद किया, उनके योगदान की चर्चा की। तो मोर्चा की बैठक ने रेस पकड़ लिया। बिरसा की प्रतिमा पर माल्‍यार्पण करने वालों की कतार लगी रही। प्रधानमंत्री ने बिरसा को याद किया तो कार्यसमिति ने बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को देश भर में राष्‍ट्रीय पर्व के रूप में मनाने का प्रस्‍ताव पारित कर दिया। माना जाता है कि यह सब पूर्व नियोजित रहा होगा। 11 नवंबर को प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती को देश भर में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय कर लिया गया। और यह हर साल मनाया जायेगा। स्‍वतंत्रता प्राप्ति के 75 साल होने पर आजादी का अमृत महोत्‍सव मनाया जा रहा है। इसी क्रम में 15 से 22 नवंबत तक पूरे देश में जनजातीय महोत्‍सव मनाया जायेगा। खुद प्रधानमंत्री 15 को रांची के बिरसा मुंडा स्‍मृति उद्यान का ऑनलाइन उद्घाटन करेंगे मगर खुद उस दिन भोजपा में जनजातीय गौरव दिवस महासम्‍मेलन में भाग लेंगे। बहरहाल सारी तैयारी के बीच भाजपा के पास जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग का उत्‍तर नहीं होगा। जो आदिवासी समाज अपनी अस्मिता से जोड़कर देख रहा है। झारखंड विधानसभा ने एक साल पहले ही इससे संबंधित सर्व सम्‍मत प्रस्‍ताव पास कर गेंद केंद्र के पाले में डाल दिया है। मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन नीति आयोग की बैठक से लेकर हार्वर्ड के मंच तक उठा चुके हैं।

भाजपा के आदिवासी अभियान के बीच झारखंड में आदिवासियों के बीच पैठ रखने वाली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्‍यक्ष सह मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन भी राज्‍य स्‍थापना दिवस के मौके पर अपनी सरकार के दो साल का समारोह मनाने उपलब्धियां और आगे की योजना बताने की तैयारी में जुटे हैं। उसी दिन यानी 15 नवंबर को वे बिरसा के गांव, खूंटी जिला के उलिहातू में जन समस्‍याओं को दूर करने के लिए ''अधिकार आपके, सरकार आपके द्वार'' कार्यक्रम की शुरुआत भी करेंगे। पंचायतों में अधिकारी कैंप लगाकर ग्रामीणों की समस्‍याओं का निबटारा करेंगे। वोट के लिए सरकारें और पार्टियों के लिए बिरसा, भगवान बने हुए हैं। भगवान मानते हैं तो बिरसा के गांव में उनका मकान, उनके पुर्वजों पर ध्‍यान दिये बिना यह टास्‍क पूरा नहीं होने वाला। कुछ माह पूर्व ही परिवार चलाने के लिए बिरसा की पड़पोती जौनी के सब्‍जी बेचने और चपरासी के पद पर काम करने वाले पड़पोता की पानी पिलाते तस्‍वीर वायरल हुई थी। आये दिन उनके परिजनों और इलाके की खबरें मीडिया में सुर्खियां पाती रहती हैं। केंद्र और राज्‍य के मध्‍य जारी तनातनी के बीच बिरसा के बहाने जनजातियों या झारखंड के लिए कुछ हासिल हो जाये तो अच्‍छी बात है।

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