चार हफ्ते में नशा खत्म करने का दावा करने वाली पंजाब की कांग्रेस सरकार नशा खत्म करने में नाकाम रही है। विधानसभा में पेश की गई नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में माना गया है कि पंजाब ड्रग्स की खपत अधिक है इसलिए एनडीपीएस एक्ट लागू करने की सख्त जरुरत है।
रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि मार्च 2017 में कांग्रेस से हारने से पहले शिअद-बीजेपी गठबंधन द्वारा नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपीक पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम को लागू करने पर सवाल उठते रहे। जब्त की गई ड्रग्स के नमूने 23 से 476 दिनों के देरी के साथ प्रयोगशालाओं को भेजे गए थे।
रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि पंजाब में 2016-17 में ड्रग्स के मामलों में 756 आरोपियों में से 532 (लगभग 70%) पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए प्रमाणों की कमी के कारण मुक्त हो गए। इतना ही नहीं दवा विक्रेताओं और पुलिस के बीच संभावित संबंधों कारण ड्रग्स को बढ़ावा देने की तरफ इशारा करता है। पिछली सरकार अवैध नशीली दवाओं के तस्करी के खिलाफ प्रवर्तन क्षमता को मजबूत करने के लिए प्रदान की गई केंद्रीय सहायता का लाभ नहीं लेती थी हालांकि, यह योजना 2009 में शुरू हुई थी। इसके अलावा, इस योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकार ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को पांच साल के लिए वार्षिक योजनाओं में एक योजना तैयार करनी थी, फिर भी इसमें देरी हुई। ऑडिट रिपोर्ट अनुसार एनसीबी ने तीन साल की अवधि समाप्त होने के बाद 2017 में कार्रवाई योजना तैयार की और राज्य सरकार 15 करोड़ रुपए के बजट का लाभ पाने में असफल रही, जिसे केंद्र द्वारा स्वीकृत किया जाना था।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य में निगरानी और सूंघने वाले कुत्तों के लिए पर्याप्त उपकरण उपलब्ध नहीं हैं, और एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामलों से निपटने के लिए पुलिस विभाग को प्रशिक्षित कर्मचारियों की भी कमी है।
सरकार की बजाय व्यक्तिगत प्रचार: कैग ने रिपोर्ट में पूर्व अकाली भाजपा सरकार पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकारी इश्तहारों में अकाली भाजपा सरकार की बजाय व्यक्तिगत बादल परिवार को ज्यादा प्रमोट किया गया। इतना ही नहीं, सुखबीर बादल और प्रकाश सिंह बादल की वीडियो वाले इश्तिहार भी सबसे ज्यादा दिखाए गए। इश्तहारों को लेकर भी पूर्व सरकार पर गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट मुताबिक 2015 से लेकर 2017 तक सूचना एंव जनसंपर्क विभाग ने इश्तहारों पर कुल 236.75 करोड़ रुपए ख़र्च किए। इसमें 185 करोड़ रुपए चुनावी वर्ष 2016-17 में खर्च किए गए।
कैंसर की रोकथाम के लिए राहत कोष कारगर नहीं:
कैग रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया कि पंजाब सरकार ने कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम को रद्द करने, मधुमेह, हृदय रोगों और स्ट्रोक के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम और संयुक्त राज्य के मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर राहत कोष को ठीक से कारगर नहीं किया है। 2016-17 की रिपोर्ट अनुसार जिला कार्रवाई की योजना तैयार नहीं हुई है, और 2.79 करोड़ रुपए की राशि अनियमित रूप से अन्य गैर-संचारी रोगों के लिए खर्च की गई। राज्य में 14 कार्डियक और कैंसर की देखभाल इकाइयों में, कैंसर की देखभाल सुविधा केवल बठिंडा में उपलब्ध थी,जो अभी भी चालू नहीं हुई है।