Advertisement

'बिहारी' और 'बाहरी' को एक कराने वाले भाजपा के #SUMO

सुशील मोदी को सुमो भी कहा जाता है। सुशील मोदी ने लालू और उनके परिवार के पास करीब एक हजार करोड़ रुपये की 'बेनामी संपत्ति' होने का दावा किया था। इस पर लालू यादव ने सुशील मोदी पर मानहानि का मुकदमा करने की धमकी भी दी।
'बिहारी' और 'बाहरी' को एक कराने वाले भाजपा के #SUMO

बिहार में 26 जुलाई को जो कुछ भी हुआ वह अप्रत्याशित था। सारे कैमरों के फोकस में एक ही आदमी था। नीतीश कुमार। अपनी ''अंतरात्मा की आवाज'' को नीतीश ज्यादा टाल ना सके और आनन-फानन में इस्तीफा देकर महागठबंधन से किनारा कर लिया। बाद में नरेंद्र मोदी के तुरंत आए ट्वीट ने सारी बात जाहिर कर दी कि आगे क्या होने वाला है और वही हुआ। नीतीश वहीं पहुंचे जहां से 2013 में नाराज होकर अलग हुए थे।

लेकिन एक और शख्स है, जो कैमरे पर तो कम दिखता है पर बिहार में भाजपा का 'डार्क हॉर्स' है। नाम है सुशील मोदी। सुशील मोदी उस फेविकोल की तरह हैं, जो 'बिहारी' को 'बाहरी' से जोड़े रखते हैं और अंत में वे 'बिहारी' नीतीश को 'बाहरी' नरेंद्र मोदी की तरफ खींच ही लाए।

सुशील मोदी ही वह शख्स हैं, जिन्होंने महागठबंधन तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। वे भाजपा के लिए एक तरह से व्हिसल ब्लोअर का काम भी करते रहे हैं।

भाजपा का हथियार – सुमो

सुशील मोदी को सुमो भी कहा जाता है। सुशील मोदी ने लालू और उनके परिवार के पास करीब एक हजार करोड़ रुपये की 'बेनामी संपत्ति' होने का दावा किया था। इस पर लालू यादव ने सुशील मोदी पर मानहानि का मुकदमा करने की धमकी भी दी।

26 जुलाई की पृष्ठभूमि सुशील मोदी ने ही रची

नीतीश कुमार के बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सुशील मोदी ने ही उन्हें भाजपा के समर्थन की घोषणा की। इस पूरे घटनाक्रम की कहानी उन्होंने ही लिखी थी।

सुशील मोदी ने तत्‍कालीन उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव पर आरोप लगाया कि 26 साल में उम्र में उनकी 26 संपत्तियां हैं। तेजस्‍वी यादव के नाम से 13 जमीनों की रजिस्‍ट्री है। 1993 में जब तेजस्‍वी साढ़े तीन साल के थे, तब ही उनके नाम दो जमीन की रजिस्‍ट्री हो गई थी। उन्‍होंने लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप पर अवैध ढंग से पेट्रोल पंप हासिल करने का मसला भी उठाया था। इसके चलते उस पेट्रोल पंप का आवंटन रद्द किया गया।  

उन्‍होंने पटना में बन रहे लालू प्रसाद के मॉल के मालिकाना हक समेत उसके निर्माण कार्य से लेकर मिट्टी पहुंचाए जाने तक का मुद्दा उठाया। बाद में बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर स्वीकार किया कि पटना में लालू परिवार का करोड़ों रुपये  की लागत से बनने वाला मॉल पर्यावरण कानून का उल्लंघन कर बन रहा था। इसकी मिट्टी अवैध तरीके से चिड़ियाघर को बेची गई।

बेनामी संपत्ति मामले और मनी लाॅंड्रिंग केस में लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती और उनके पति के दिल्ली स्थित तीन फार्महाउसों और उनसे संबंधित एक फर्म पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापे मारे। इस मामले में सीबीआई ने लालू प्रसाद एवं उनके परिवार के कुछ सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और पूछताछ भी की। लालू प्रसाद के 21 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापे मारे।

लालू और सुशील मोदी का साथ

सुशील मोदी भी जेपी आंदोलन से निकले नेता हैं। सुशील कुमार मोदी और लालू प्रसाद यादव का पुराना रिश्ता रहा है। बतौर छात्र नेता 1973 में पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में सुशील मोदी महासचिव चुने गए। उसी दौरान लालू प्रसाद यादव छात्र संघ अध्यक्ष बने। सुशील मोदी इससे पहले आरएसएस से जुड़ चुके थे।

पर्सनल लाइफ

सुशील मोदी और उनकी पत्नी जेसिस की पहली मुलाकात ट्रेन में हुई थी। दरअसल सुशील पटना विश्वविद्यालय में उस वक्त एबीवीपी छात्र संघ के महासचिव थे। विद्यार्थी परिषद के काम से वह ट्रेन से कहीं जा रहे थे। उनकी पत्नी जेसिस जार्ज ईसाई धर्म से हैं।  सुशील मोदी के दोस्त सरयू राय कहते हैं कि सुशील मोदी के घरवाले इस बात से नाराज भी हुए थे। घरवालों ने सुशील मोदी को समझाने की भरसक कोशिश की। दरअसल पारंपरिक मारवाड़ी परिवार में ऐसी शादी को आसानी से मंजूर किया जाना आसान नहीं था  पर उनके घरवालों को समझाया गया और वे राजी हो गए।

1988 में सुशील मोदी ने बैंक से 56 हजार रुपए लोन लेकर कंप्युटर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोला। यहां पर दोनों पति-पत्नी कंप्यूटर लैंग्वैज की ट्रेनिंग देते थे। 

फिलहाल जेसिस एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं। सुमो और जेसिस के दो बेटे उत्कर्ष तथागत और अक्षय अमृतांक्षु भी लाइमलाइट से दूर रहते हैं। उत्कर्ष इंजीनियरिंग और अक्षय कानून की पढ़ाई कर रहे हैं।

मुख्यधारा की राजनीति की शुरुआत

साल सुशील मोदी ने कांग्रेस के गढ़ रही पटना सेंट्रल सीट से 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस विधायक अकील हैदर को हराया। पहली बार मोदी बिहार की कुम्हड़ार विधानसभा से विधायक चुने गए। 1996-2004 के दौरान विपक्ष के नेता रहे। 1996 में ही पटना हाई कोर्ट में उन्होंने लालू प्रसाद के खिलाफ जनहित याचिका दायर की। बाद में यह मामला चारा घोटाले के रूप में जाना गया।

2005 में राज्‍य की सत्‍ता में एनडीए के आने के बाद वह पहली बार उप-मुख्‍यमंत्री बने। 2013 तक वह इस पद पर रहे। अब तीसरी बार वह नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में उपमुख्‍यमंत्री बने हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad