उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर जारी है और अब तक राज्य में बाढ़ में मरने वालों की संख्या 36 तक पहुँच गयी है। वहीँ दूसरी ओर, करीब 15 लाख लोग बाढ़ से प्रदेश में प्रभावित हैं। बाढ़ से प्रदेश में 2.25 लाख हेक्टेयर भूमि जलमग्न है, जिसमें करीब 1.50 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बाढ़ से अब तक करीब 10 करोड़ रुपये मूल्य की खड़ी फसल का नुक्सान भी हुआ है। बाढ़ से प्रभावित 22 जिलों में सबसे ज्यादा जिले पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं तराई के क्षेत्र में आते हैं, जिसमे प्रमुख जिले हैं बलरामपुर, श्रावस्ती, गोरखपुर, मऊ, मिर्ज़ापुर, गोंडा, सीतापुर, फैजाबाद, पीलीभीत, बस्ती, आजमगढ़, बिजनौर इत्यादि हैं।
बाढ़ से करीब 2,000 गाँव प्रभावित हैं, जिसमे से 1,200 से अधित का संपर्क दूसरे इलाकों से पूरी तरह से कट गया है। बाढ़ का पानी निरंतर हो रही बारिश और निकटवर्ती नेपाल में हो रही बारिश की वजह से पानी के बहने से निचले इलाकों में जमा हो रहा है, जिससे हालत और विकट हो गए हैं। जहाँ एक ओर, लोग बाढ़ से परेशान हैं, वहीं प्रभावित इलाकों में अब बीमारियों का खतरा भी मडराने लगा है।
इस बीच, प्रदेश सरकार नें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यो के लिए सेना के अतिरिक्त, पीएसी और एनडीआरएफ के जवानों को तैनात किया है, जो चौबीसों घंटे काम पर लगे हैं। इन जवानों नें अब तक करीब 50,000 लोगों को बाढ़ से सुरक्षित निकला हैं, और 20,000 से भी अधिक लोगों को राहत शिविरों में पहुँचाया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, योगी सरकार नें अब तक बाढ़ से प्रभावित लोगों में 44 लाख रुपये राहत राशि के रूप में वितरित की है।