पांच लाख के इनामी गैंगेस्टर आनंदपाल जीते जी राजस्थान पुलिस की नाक में दम किये रहा। और अब उसके एनकाउंटर के बाद भी पुलिसवालों की जान पर बन आई है। राजस्थान के शेखावटी इलाके में उसके किस्से यूं ही मशहूर नहीं हैं। अपने बेखौफ अंदाज के बूते उसने राजस्थान की राजनीति में खलबली मचाने की हैसियत हासिल कर ली थी। जिसका सबूत बुधवार को नागौर में उसके गांव सांवराड में जुटी करीब 50 हजार लोगों की भीड़ थी।
ज्यादातर राजपूत समाज से ताल्लुक रखने वाले उसके समर्थकों ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कल खूब बवाल मचाया। सीबीआई जांच की मांग पर अड़े इन लोगों ने पुलिस पर पथराव किया और उनकी गाड़ियों का आग के हवाले कर दिया। रेल की पटरियां उखाड़ने की कोशिश भी की गई। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। आंसू गैस छोड़ी गई। पथराव और आगजनी के दौरान 20 पुलिसकर्मियों के घायल होने और एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है। तनाव को देखते हुए इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं और गांव में कफर्यू लगा दिया है। खबर है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंत्रियों की आपात बैठक भी बुलाई है।
राजनीति में खलबली
जिस तरह आसपास के कई जिलों से हजारों लोग आनंदपाल के समर्थन में जुटे, उससे माना जा रहा है कि यह एनकाउंटर वसुंधरा सरकार और भाजपा के गले की फांस बन सकता है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। हुंकार रैली का आह्वान करने वाली करणी सेना के संरक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा है कि राजपूत समुदाय को इस मामले में सीबीआई जांच से कम कुछ मंजूर नहीं है। भ्ाड़के राजपूत नेताओं को समझाने का जिम्मा राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजित सिंह शेखावत को दिया है।
एनकाउंटर पर सवाल
करीब डेढ़ साल पहले अजमेर जेल से लौटते समय पुलिस की गिरफ्त से फरार हुए आनंदपाल को पकड़ना राजस्थान पुलिस और वसुंधरा सरकार के लिए साख का सवाल बन गया था। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मंत्रियों पर आनंदपाल से मिलीभगत के आरोप लगाते हुए विपक्ष सरकार को बार-बार घेर रहा था। इस बीच, गत 24 जून को राजस्थान पुलिस की एक स्पेशल टीम ने चुरू में एक मुठभेड़ के दौरान आनंदपाल को मार गिराने का दावा किया। हालांकि, पुलिस का यह दावा शुरू से ही संंदेह के घेरे में है।
आनंदपाल के परिजनों ने उसके शव के पोस्टमार्टम पर भी सवाल उठाए थे। आनंदपाल के खात्मे का श्रेय आईजी (एसओजी) दिनेश एमएन को दिया जा रहा है जो गुजरात के चर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सात साल जेल में सजा काट चुके हैं। आनंदपाल की धरपकड़ के ऑपरेशन को आईजी (एसओजी) दिनेश एमएन की अगुवाई में अंजाम दिया गया था।