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अयोध्या में रामनवमी पर सूर्य किरणों से हुआ रामलला का तिलक, भव्य और दिव्य दर्शन के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

देशभर में आज राम नवमी मनाई जा रही है और इस बार राम नवमी का पर्व बहुत ही विशेष है। हिंदू धर्म में राम नवमी...
अयोध्या में रामनवमी पर सूर्य किरणों से हुआ रामलला का तिलक, भव्य और दिव्य दर्शन के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

देशभर में आज राम नवमी मनाई जा रही है और इस बार राम नवमी का पर्व बहुत ही विशेष है। हिंदू धर्म में राम नवमी के दिन को बहुत शुभ माना गया है। इस दिन को भगवान श्री राम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर व मंदिरों में कई मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं। इसी के चलते सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। खासतौर पर अयोध्या में इस दौरान रामलला की विशेष पूजा-अर्चना की गई। मंत्रोच्चराण के साथ रामलला का सूर्याभिषेक हुआ। इस मौके पर राम मंदिर का विशेष श्रृंगार किया गया है। रामनवमी के मौके पर राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए थे। आज 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद पहली बार प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या में बने भव्य महल में राम नवमी मनाई जा रही है। यहां पर सूर्यवंशी भगवान श्रीराम के माथे पर स्वयं सूर्यदेव ने तिलक किया। दोपहर 12.16 बजे रामलला का सूर्यतिलक हुआ। इससे पहले रामलला का दूध, दही से अभिषेक किया गया। इस पावन दिन अयोध्या में राम मंदिर में खास इंतज़ाम किेए गए हैं, जहां भी रामलला के दर्शन करने भक्‍त पहुंचे हैं।

22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला अयोध्या में अपने भव्य महल में विराजमान हुए हैं और अब भगवान राम के जन्मदिन यानी राम नवमी पर भगवान राम सूर्य तिलक होगा। रामनवमी पर भगवान राम का सूर्य तिलक करीब 4 मिनट तक रामलला के मस्तक की शोभा बढ़ाएंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर लोगों को रामनवमी की बधाई दी है। 

अयोध्या में भगवान श्री रामलला के 'सूर्य तिलक' के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बुधवार को रामनवमी के दिन दोपहर के समय सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी और दर्पण व लेंस से जुड़े एक विस्तृत तंत्र द्वारा उनका 'सूर्य तिलक' संभव हो सकेगा।

अयोध्या में 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में नए मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी होगी। इस प्रणाली का परीक्षण वैज्ञानिकों ने मंगलवार को किया, इसे 'सूर्य तिलक परियोजना' का नाम दिया गया है।

पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, देशभर के मेरे परिवारजनों को भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव रामनवमी की अनंत शुभकामनाएं! इस पावन अवसर पर मेरा मन भावविभोर और कृतार्थ है। ये श्रीराम की परम कृपा है कि इसी वर्ष अपने कोटि-कोटि देशवासियों के साथ मैं अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा का साक्षी बना। अवधपुरी के उस क्षण की स्मृतियां अब भी उसी ऊर्जा से मेरे मन में स्पंदित होती हैं।

पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, यह पहली रामनवमी है, जब अयोध्या के भव्य और दिव्य राम मंदिर में हमारे राम लला विराजमान हो चुके हैं। रामनवमी के इस उत्सव में आज अयोध्या एक अप्रतिम आनंद में है। 5 शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद आज हमें ये रामनवमी अयोध्या में इस तरह मनाने का सौभाग्य मिला है। यह देशवासियों की इतने वर्षों की कठिन तपस्या, त्याग और बलिदान का सुफल है।

पीएम मोदी ने कहा कि प्रभु श्रीराम भारतीय जनमानस के रोम-रोम में रचे-बसे हैं, अंतर्मन में समाहित हैं। भव्य राम मंदिर की प्रथम रामनवमी का यह अवसर उन असंख्य राम भक्तों और संत-महात्माओं को स्मरण और नमन करने का भी है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राम मंदिर के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया।

एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, मुझे पूर्ण विश्वास है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन और उनके आदर्श विकसित भारत के निर्माण के सशक्त आधार बनेंगे। उनका आशीर्वाद आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को नई ऊर्जा प्रदान करेगा। प्रभु श्रीराम के चरणों में कोटि-कोटि नमन और वंदन!

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ एस के पाणिग्रही ने बताया कि 'सूर्य तिलक परियोजना का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन श्री राम की मूर्ति के मस्तक पर एक तिलक लगाना है। परियोजना के तहत, श्री रामनवमी के दिन दोपहर के समय भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी लाई जाएगी। सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया जाएगा और हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है। विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि हर 19 साल में दोहरायी जाती है।'

दरअसल, हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्यदेव का विशेष महत्व होता है। वैदिक काल से ही सूर्य को प्रत्यक्ष देवता मानते हुए पूजा-उपासना होती आ रही है। सूर्यदेव को ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत और पिता का दर्जा हासिल है। त्रेतायुग में भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में अयोध्या में सूर्यवंशी और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम का जन्म हुआ था। भगवान राम अपने दिन की शुरुआत हमेशा सूर्यदेव को जल अर्पित करके किया करते थे। महर्षि अगस्त ने भगवान राम को सूर्य का प्रभावी मंत्र आदित्य ह्रदयस्तोत्र की दीक्षा दी थी।

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