देश में फिर से बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंता भी बढ़ गई है। टीएमसी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य में उपचुनाव कराने की मांग कर रहा है। जिसे लेकर आज यानी शुक्रवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात करेगा। राज्य में सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं। कहा जा रहा है कि ममत बनर्जी खुद भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगी।
पिछले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसमें वह साधारण अंतर से हार गई थी। हारने के बाद भी वह मुख्यमंत्री बनी थी। अब उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नियुक्ति के छह महीने बाद (नवंबर) के भीतर लोगों द्वारा चुने जाने की जरूरत है।
संविधान के आर्टिकल 164(4) के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति विधायक या सांसद नहीं है और वह मंत्रिपद पर है तो उसके लिए 6 महीने में विधानसभा या विधानपरिषद या संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना आवश्चयक है। यदि मंत्री ऐसा नहीं कर पाता तो 6 महीने बाद वह पद पर नहीं बना रह सकता। इस स्थिति में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को किसी भी हालत में मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 4 नवंबर तक विधायक बनना अनिवार्य है।
बता दें कि भाजपा का पश्चिम बंगाल में उपचुनाव कराने का मन नहीं है। वह लगातार इसका विरोध कर रही है। जिसकी वजह से ममता बनर्जी की टेंशन और बढ़ती जा रही है। उन्हें अपनी सीएम की गद्दी छूटने का डर सता रहा है। वहीं भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि जब तक राज्य में कोरोना की स्थिति सामान्य नहीं होती तब तक ट्रेने फिर से शुरू नहीं की जाएंगी। ऐसे में उपचुनाव भी नहीं होने चाहिए।
इससे पहले भी इसी मांग के लिए जुलाई में सुखेंदु शेखर और मोहुआ मोइत्रा सहित टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि भाजपा अब यह उपचुनाव नहीं चाहती है, वहीं टीएमसी किसी भी हालत में उपचुनाव चाहती है।