केंद्र और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच तनाव खत्म होने का नाम नही ले रहा है। ममता सरकार ने केंद्र सरकार की बैठकों में आने के लिए शर्त रख दी है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने लोकसभा में कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार तब तक केंद्र सरकार की बैठकों का बहिष्कार जारी रखेगी जब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय राज्य को अनुच्छेद 355 के तहत परामर्श देना बंद नहीं कर देता है।
केंद्र राज्य को नोटिस भेजना बंद करेः टीएमसी
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र राज्यों से सहयोग मांग रहा है जबकि वह अनुच्छेद 355 के तहत सप्ताह में दो बार परामर्श जारी कर रहा है। यह अनुच्छेद राज्यों को आंतरिक अव्यवस्था से बचाने के लिए केंद्र के कर्तव्यों से संबंधित है। सौगत रॉय ने कहा कि टीएमसी ने केंद्र द्वारा एक राष्ट्र, एक चुनाव पर बुलाई बैठक का बहिष्कार किया था। जब तक केंद्र पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेजना जारी रखेगा, तब तक हम केंद्र की बैठकों का बहिष्कार करते रहेंगे।
आम चुनाव के बाद हिंसा भड़कने पर दिया था नोटिस
पिछले महीने आम चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में हिंसा भड़कने के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को इस महीने के शुरू में परामर्श नोटिस जारी किया था और जानकारी मांगी थी कि कानून व्यवस्था बरकरार रखने के लिए क्या कदम उठाए गए।
टेंपो ड्राइवर से मारपीट का मामला उठा
कांग्रेस के रवनीत सिंह ने दिल्ली के मुखर्जीनगर में टेंपो ड्राइवर और उसके नाबालिग बेटे पर पुलिस के कथित हमले का मामला संसद में उठाया और और मामले की जांच करवाने की मांग की। 1984 के सिख विरोधी दंगों की बार-बार बात करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस मसले पर चुप्पी साध गए। सदन की अध्यक्षता कर रहे किरीट सोलंकी ने इस बीच कहा कि यह राज्य का मसला है। इस पर रवनीत सिंह ने जवाब दिया कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आती है। उन्होंने आइपीसी की धारा 295 ए के तहत मारपीट करने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे और धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने का केस दर्ज करने की मांग की।
नमो टीवी की जांच की मांग
टीएमसी की महुआ मोइत्रा ने नमो टीवी के प्रसारण का भी मुद्दा उठाया। आम चुनाव से ठीक पहले चालू हुए इस टैनल से भाजपा को अनुचित लाभ मिला। चुनाव के बाद यह चैनल बंद हो गया। उन्होंने इस मामले की जांच करवाने की मांग की।