दरअसल, यह अनुभव प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी रिजू बाफ्ना ने शेयर किया है जिन्होंने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। इसी सिलसिले में वह मामले की जानकारी देने और सुनवाई के लिए पेश हुई थीं। कैबिनेट मंत्री और सरकारी प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि वह महिला अदालती कार्रवाई के दौरान अपने साथ हुए दुर्व्यवहार से नाखुश थीं। लिहाजा सरकार ने इस मामले पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से राय-मशविरा करने का मन बनाया है।
रिजू बाफ्ना ने सिवनी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को तफ्तीश से फेसबुक पर शेयर किया है। उन्होंने लिखा है कि जब उन्होंने मजिस्ट्रेट से बंद कमरे में अपना बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया तो उनके ठीक बगल में खड़े एक वकील ने अदालत से खुद के निकलने का सख्त विरोध दर्ज कराया। बाफ्ना के मुताबिक, वह वकील अदालत छोड़ने से पहले दलीलें पेश करता रहा और अदालत में उसने असभ्य भाषा का प्रयोग किया।
बाफ्ना के मुताबिक, मजिस्ट्रेट इस पूरे मामले में मूकदर्शक बने रहे और जब मैंने अपना बयान दर्ज कराया तो मुझसे कहा गया कि चूंकि मैं युवा हूं और मेरी पहली तैनाती है इसलिए मैं निजता की उम्मीद कर रही हूं। यह भी कहा गया कि व्यवस्था और अदालत के तौर-तरीके समझने में आपको वक्त लगेगा और बाद में खुद ही ऐसी मांगें नहीं करेंगी।
बाफ्ना ने अपनी पहली टिप्पणी 1 अगस्त को पोस्ट की थी जब उन्होंने लिखा था, ‘यदि आप इस देश में पैदा होते हैं तो बेहतर होगा कि हर कदम पर संघर्ष करने के लिए तैयार रहें।’ बाद में उन्होंने इस टिप्पणी पर यह कहते हुए खेद जताया, ‘मैंने यह कदम अति उत्साह में उठा लिया था और मैं कुछ व्यक्तियों की गलती के कारण देश को दोषी ठहराने पर खेद जताती हूं।’