जनगणना फार्म में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड दर्ज किये जाने की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों के कॉल पर झारखंड के आदिवासी सड़क पर उतरे। संगठनों ने चक्का जाम का नारा दिया था।
पारंपरिक लाल पार की सफेद साड़ी पहने महिलाएं भी आंदोलन में खूब सक्रिय दिखीं। सुबह से ही जत्थे में रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर रांची के ग्रामीण इलाकों से लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। अनेक लोग सरना धर्म कोड का बैनर और हाथ में लाठी लिये हुए थे।
चक्का जाम का आदिवासी बहुल रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, चाईबासा, पूर्वी सिंभूम में ज्यादा असर दिखा। एनएच और शहर में प्रवेश करने वाली मुख्य सड़कों पर इनकी ज्यादा सतर्कता थी। रांची के प्रमुख चौक अलबर्ट एक्का चौक पर इनके जत्थों की धमक के कारण देर तक यातायात व्यवस्था अस्त-व्यस्थ रही। हालांकि पुलिस और यातायात के जवान भरसक उन्हें समझाने में लगे रहे। आवश्यक सेवाओं को चक्का जाम से मुक्त रखा गया था। इधर आदिवासी जन परिषद ने 20 अक्टूबर को मानव श्रृंखला निर्माण का निर्णय किया है।
आदिवासी संगठन 2021 में होने वाली जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग कर रहे हैं। इसे अपने अस्तित्व और अलग पहचान की लड़ाई बता रहे हैं। आदिवासी संगठनों की मांग है कि राज्य सरकार इस संबंध में केंद्र को प्रस्ताव भेजे। विभिन्न प्रदेशों के आदिवासियों द्वारा अलग-अलग नाम से जनगणना कॉलम में प्रावधान किये जाने की मांग वजह से अब तक बाधा रही है। नाम में एकरूपता नहीं थी। एकरूपता के लिए इधर तेजी से पहल हुई है और उम्मीद जगी है।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की, आदिवासी विकास परिषद के महासचिव सत्यनारायण लकड़ा चक्का जाम को प्रभावी बताया, कहा कि आगे भी इनका आंदोलन जारी रहेगा। आज के चक्का जाम का कार्यक्रम का आयोजन आदिवासी बहुल पांच राज्यों में किया गया था।