त्रिवेंद्र सरकार के समय में हुई बहुप्रचारित इंवेस्टर्स समिट का सच आज विस के सदन में सामने आ गया। तत्कालीन सरकार ने इस समिट में 1.20 करोड़ के एमओयू का दावा किया गया था। अब सामने आ रहा है कि पिछले चार सालों में उत्तराखंड में महज 6126 करोड़ का ही निवेश हुआ है। आलम यह है कि सरकार को यह भी नहीं पता है कि उत्तराखंड में अब तक कितने उद्योग बंद हुए हैं।
विस सत्र के दौरान विधायकों ने सूबे की औद्योगिक स्थिति को समझने के लिए तमाम सवाल पेश किए थे। सरकार की ओर से उद्योग मंत्री ने विधायकों के सवालों के जवाब लिखित तौर पर सदन में दिए। एक सवाल के जवाब में विभागीय मंत्री गणेश जोशी ने सदन को बताया कि एक मार्च-2017 से 31 मार्च-2021 तक राज्य में 6116 करोड़ का निवेश हुआ है। इसमें से 3570 करोड़ से सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के 15,696 उद्योग लगे हैं। इसी तरह से 2547 करोड़ रुपये की लागत से 47 वृहद उद्योग स्थापित हुए हैं।
सरकार की ओर से सदन को बताया गया कि इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उत्तराखंड में कितने और किस श्रेणी के उद्योग बंद हुए है। सरकार ने सदन को बताया कि 2006-07 के बाद ये ऐसा कोई सर्वे नहीं हुआ है, जिसके जरिए यह मालूम हो सके कि कितने उद्योग उत्तराखंड में बंद हुए हैं।
अहम बात यह 2019 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने देहरादून में एख भव्य इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया था। उस समय सरकार ने बड़े जोर-शोर से दावा किया था कि 1.24 लाख करोड़ रुपये के निवेश के एमओयू किए गए है। इस निवेश ने उत्तराखंड का कायाकल्प हो जाएगा। इस समिट पर 26 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए थे। अब सामने आया है कि पिछसे चार साल में महज 6126 करोड़ का निवेश हुआ है। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस इंवेस्टर्स समिट का सच क्या है।