Advertisement

जंग-केजरी की यह कैसी जंग

दिल्ली के सत्ता प्रतिष्ठान में अपनी सर्वोच्चता साबित करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप राज्यपाल नजीब जंग के बीच का टकराव बढ़ता ही जा रहा है। टकराव के ताजा घटनाक्रम में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन से कहा है कि वह कार्यवाहक मुख्य सचिव का कार्यभार नहीं संभालें।
जंग-केजरी की यह कैसी जंग

हालांकि गैमलिन ने शनिवार को अपना पद संभाल ‌लिया। गौरतलब है कि उपराज्यपाल ने शुक्रवार को ही गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया था। इस नियुक्ति का केजरीवाल ने यह कहते हुए विरोध किया था कि इस बारे में उप राज्यपाल ने उनसे सलाह नहीं ली और यह नियुक्ति नियम के खिलाफ है। केजरीवाल ने शकुंतला गैमलिन पर दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों से सांठगांठ का आरोप भी लगाया था। गौरतलब है कि अपनी नियुक्ति के कुछ घंटे बाद ही गैमलिन ने जंग को पत्र लिखकर दावा किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय का एक वरिष्ठ नौकरशाह उन पर दबाव बना रहा है कि वह बिजली कंपनी बीएसईएस से कथित नजदीकी के चलते इस पद की दौड़ में शामिल न हों।

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि केजरीवाल ने गैमलिन को भेजे अपने पत्र में कहा है कि उनकी नियुक्ति स्थापित नियम के खिलाफ है। इसके मद्देनजर उन्हें कार्यवाहक मुख्य सचिव का कार्यभार नहीं संभालना चाहिए। जंग के कदम की अलोचना करते हुए आप सरकार ने शुक्रवार को कहा था कि उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनदेखी नहीं कर सकते और उन्होंने संविधान, जीएनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट तथा कामकाज से जुड़े नियमों के विपरीत काम किया है। जंग ने आप के आरोपों को तुरंत खारिज किया था और कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 239एए के तहत उपराज्यपाल दिल्ली में राज्य प्राधिकरण के प्रतिनिधि हैं। दिल्ली के मुख्य सचिव के.के. शर्मा निजी यात्रा पर अमेरिका गए हैं। इसकी वजह से सरकार को कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति करनी थी। गैमलिन वर्तमान में बिजली सचिव के रूप में काम कर रही हैं।

केजरीवाल और नजीब जंग के बीच का यह टकराव नया नहीं है। इससे पहले केजरीवाल अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं कि सरकार से जुड़ी फाइलें जंग के पास न भेजी जाएं। इसके निर्देश के खिलाफ जंग ने भी नौकरशाहों को आदेश दिया था कि फाइलें उनके पास जरूर भेजी जाए क्योंकि यह सरकार की संवैधानिक बाध्यता है। गौरतलब है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है इसलिए यहां उपराज्यपाल का पद अन्य राज्यों के राज्यपालों की तरह सजावटी नहीं है बल्कि यहां सारे अधिकार एक तरह से उप राज्यपाल के पास ही होते हैं।

टकराव का एक और मुद्दा दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह को लेकर आने वाले दिनों में उठ सकता है। कुमार विश्वास के मामले को लेकर अब आप सरकार बरखा सिंह की छुट्टी करना चाहती है और उन्हें नोटिस भी दिया जा चुका है मगर उन्हें हटाने का अधिकार उप राज्यपाल के पास है। वर्तमान हालात में जंग बरखा सिंह को हटाने के लिए सहमत होंगे इसके आसार कम ही दिखते हैं।

 

 

सिसौदिया ने भाजपा पर लगाया आरोप

 

गैमलिन मामले में दिल्ली सरकार ने भाजपा पर नजीब जंग के माध्यम से उसके खिलाफ तख्तापलट की कोशिश करने का आरोप लगाया। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा, ऐसा पहली बार है जब उपराज्यपाल मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद को दरकिनार करते हुए अधिकारियों को सीधे निर्देश जारी कर रहे हैं। सिसौदिया ने कहा, संविधान, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (जीएनसीटी) अधिनियम और कामकाज से जुड़े नियम साफ तौर पर परिभाषित करते हैं कि उपराज्यपाल क्या कर सकते हैं। उपराज्यपाल और मंत्री परिषद के बीच विवाद या वैचारिक मतभेद की स्थिति में उपराज्यपाल को मामले पर चर्चा के लिए संबंधित मंत्री से बात करनी चाहिए थी।

 

उपमुख्यमंत्री ने कहा, इसके बाद अगर मंत्री परिषद सहमत ना होता तब वह राष्ट्रपति के पास मामला भेज सकते थे और उनकी सलाह मंत्री परिषद को भेजी जा सकती थी। उन्होंने उपराज्यपाल के कदम को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा, मुझे उपराज्यपाल ने सूचित नहीं किया और उनके पास अधिकारियों को सीधे निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर संविधान और प्रासंगिक कानूनों के खिलाफ काम किया है।

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad