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राज्य कर्मियों को कैशलेस चिकित्सा योजना देने का पहला राज्य बना यूपी, भुगतान के लिए अब नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 22 लाख राज्य कर्मचारियों को अब इलाज में हुए अपने व्यय के भुगतान के लिए अधिकारियों...
राज्य कर्मियों को कैशलेस चिकित्सा योजना देने का पहला राज्य बना यूपी, भुगतान के लिए अब नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 22 लाख राज्य कर्मचारियों को अब इलाज में हुए अपने व्यय के भुगतान के लिए अधिकारियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सरकार ने गुरुवार से सभी राज्य कर्मचारियों के हित में कदम उठाते हुए उन्हें पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना की सौगात दे दी है। अब प्रदेश के सभी कर्मचारी कैशलेस इलाज की व्यवस्था का लाभ उठा सकेंगे।

सरकार ने ये व्यवस्था राज्य कर्मचारियों के आलावा पेंशनर्स और उनके आश्रितों के लिए भी शुरू की है। यानि इस योजना से करीब 75 लाख लोग लाभांवित होंगे। जाहिर है इस योजना की मांग कई दशकों से लंबित थी। बीजेपी ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में सभी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने का वादा किया था। जिसे आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरा कर दिया है। सीएम योगी ने कहा कि कर्मचारी हमारा परिवार हैं और सरकार कर्मचारी की चिंता करती है।

इलाज का पूरा खर्च वहन करेगी सरकार :

उत्तर प्रदेश इस योजना को लागू करने वाला पहला प्रदेश बन गया है। योजना से राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों के आलावा उनके परिवार को आयुष्मान योजना में पंजीकृत सभी निजी अस्पतालों में प्रतिवर्ष पांच लाख रुपए तक के इलाज की मुफ्त सुविधा मिलेगी।

राज्य कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी को कहा धन्यवाद :

कार्यक्रम में पहुंचे राज्य कर्मचारियों ने इस योजना के लिए सीएम योगी का धन्यवाद देते हुए कहा कि 'इस योजना से हमें अब अपने पास से पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी। यहीं नहीं इस योजना से पहले हम जो पैसा खर्च करते थे उसके प्रतिपूर्ति के लिए वेरिफिकेशन कराने में दिक्कत आती थी, इन सब कार्यों में काफी वक्त लग जाता था, लेकिन अब कैशलैस हो जाने से हमारी सारी समस्या का निस्तारण हो गया है।'

राज्य कर्मचारी, ऋतु सिंह ने बताया कि 'पहले इलाज कराने के लिए हमें एक फिक्स्ड अमाउंट की व्यवस्था करनी होती थी, हमें खुद ही पैसा खर्च कर अपना इलाज कराना पड़ता था। उसके बाद हम प्रतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत करते थे, जोकि एक लंबी प्रक्रिया हुआ करती थी। यहीं नहीं अगर हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है तो हमें महंगे इलाज के लिए सोचना पड़ता था।'

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