हाथरस में 19 साल की दलित लड़की के साथ हुए कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में हुई मौत के मामले मुख्यमंत्री योगी ने बुधवार को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है। इसकी अध्यक्षता उत्तर प्रदेश शासन के गृह सचिव भगवान स्वरूप होंगे। एसआईटी अपनी रिपोर्ट सात दिन में पेश करेगी। मुख्यमंत्री योगी ने हाथरस की घटना के लिए दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने का भी निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री द्वारा दिए निर्देश के अनुसार तीन सदस्यीय एसआईटी टीम में अध्यक्ष सचिव गृह भगवान स्वरूप एवं चंद्रप्रकाश पुलिस उप महानिरीक्षक व पूनम, सेनानायक पीएसी आगरा सदस्य होंगे। टीम आवश्यकतानुसार अन्य लोगों से भी सहयोग ले सकती है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा एक ट्वीट कर हाथरस घटना के लिए दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने और प्रभावी पैरवी करने का स्पष्ट निर्देश दिया है।
हाथरस से बुधवार सुबह मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस अधीक्षक विक्रांत सिह ने बताया कि लड़की का अंतिम संस्कार बीती रात दो बजे परिजनों की सहमति से पुलिस बल के साथ करा दिया गया। हाथरस जिले में गत 14 सितम्बर को कथित रूप से सामूहिक बलात्कार और गला दबाए जाने की घटना की शिकार हुई। 19 वर्षीय दलित लड़की ने मंगलवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
ज्ञात हो कि बीते 14 सितंबर को यूपी में हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव में 19 साल की एक दलित लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई थी। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस अधीक्षक विक्रांतवीर के मुताबिक लड़की ने अपने साथ बलात्कार की वारदात के बारे में पुलिस को पहले कुछ नहीं बताया था मगर बाद में मजिस्ट्रेट को दिए गए बयान में उसने आरोप लगाया कि संदीप, रामू, लव कुश और रवि नामक युवकों ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया था। विरोध करने पर जान से मारने की कोशिश करते हुए उसका गला दबाया था। चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इंटरनेट से फोटो हटाए जाने की मांग
एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने हाथरस में युवती के बलात्कार एवं हत्या मामले में माइक्रो-ब्लॉगिंग साईट ट्विटर पर युवती का नाम लिए जाने, उसके नाम से ट्विटर पर विभिन्न हैशटैग चलाए जाने, उस युवती की दो फोटो शेयर किये जाने आदि के संबंध में विधिक कार्रवाई की मांग की है। थाना गोमतीनगर, लखनऊ को भेजी अपनी तहरीर में नूतन ने कहा कि युवती की फोटो के साथ ही उसकी पहचान को उजागर करते कई वीडियो भी यूट्यूब पर डाले गए हैं। उन्होंने कहा कि धारा 228ए, आईपीसी के अनुसार रेप पीडिता की पहचान का प्रकटीकरण दंडनीय अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने भी निपुण सक्सेना केस में स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी स्थिति में रेप पीडिता की पहचान नहीं उजागर की जाये। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार से ट्विटर, अन्य सोशल मीडिया एवं इन्टरनेट से उस युवती के नाम, फोटो, विडियो आदि को अविलंब हटवाये जाने की भी मांग की है।
इस मामले पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह का कहना है कि सनातन धर्म की बात करने वालों आधी रात को अन्तिम संस्कार कैसे जायज़ है। पीड़ित परिवार को अपनी बेटी का मुँह भी नहीं देखने दिया और उत्तर प्रदेश पुलिस ने आधी रात को पीड़िता का अन्तिम संस्कार कर दिया, ऐसा अन्याय मानव अधिकारों की हत्या ही नहीं बल्कि संविधान पर चोट है।