गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। प्रदेश सरकार ने जिन नामों को लेकर सिफारिश किया उसको लेकर कभी भी सहमति नहीं बन पाई। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और प्रदेश सरकार ने जिन नामों को की सूची सौंपी उसमें सुप्रीम कोर्ट ने ही लोकायुक्त की नियुक्ति कर दिया। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जो सूची उन्हें बताई गई थी उसमें वीरेंद्र सिंह का नाम नहीं था।
इसके बाद ही वीरेंद्र सिंह की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हमें लगेगा की वीरेंद्र सिंह की नियुक्ति सही नहीं है तो हम वापस बुला लेंगे। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अब लोकायुक्त की मामला कमेटी के पास नहीं भेजा जाएगा। क्योंकि करीब 20 माह से कमेटी लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई यूपी सरकार को फटकार
लोकायुक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की नियुक्ति संबंधी मामले में दाखिल याचिका पर कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हमें अंधेरे में रखा।
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