उत्तर प्रदेश के झांसी में पांच अक्टूबर को पुलिस और पुष्पेंद्र यादव की मुठभेड़ पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। मामले में डीएम ने मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही एसएसपी ने आरोपित थाना प्रभारी को हटा दिया है। हालांकि मामले को लेकर परिजनों ने मुठभेड़ पर सवालिया निशान उठाते हुए मृतक का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था, लेकिन कल रात पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया।
पुलिस मुठभेड़ में मारे गए पुष्पेंद्र यादव का शव परिजनों ने अफसरों की गुजारिश के बाद भी लेने से इनकार कर दिया था। कई दौर की वार्ता के बाद भी परिजन आरोपित इंस्पेक्टर धर्मेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उसकी गिरफ्तारी को लेकर अड़े रहे। बात न बनने पर देर रात पुलिस पुष्पेंद्र के शव को लेकर झांसी आई। जहां देर रात प्रेमनगर थाना क्षेत्र में श्मशान घाट पर पुष्पेंद्र का अंतिम संस्कार कर दिया। अंतिम संस्कार में पुष्पेंद्र की परिजन शामिल नहीं थे। वहीं, अंतिम संस्कार के बाद मृतक के गांव समेत मोंठ में भारी पुलिस फोर्स तैनात किया गया है। जिसमें आरएएफ फोर्स भी शामिल है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मृतक का गांव पहले ही छावनी में तब्दील है।
इस बारे में एसपी ग्रामीण राहुल मिठास ने ‘आउटलुक’ को बताया कि मुठभेड़ में थाना प्रभारी भी घायल हुए थे। वह थाना प्रभारी के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्हें हटा दिया गया है। साथ ही मामले की जांच के लिए डीएम ने मजिस्ट्रेटियल जांच के आदेश दिए हैं और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
एनकांउटर को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने आउटलुक को बताया कि पुलिस से जनता भरोसा उठता जा रहा है। लगातार कई फर्जी एनकाउंटर की घटनाएं आ चुकी हैं। सरकार को न्यायिक जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। साथ ही पीड़ित परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल आज झांसी पहुंचा था और मृतकों के परिजनों से मुलाकात की। कल सपा मुखिया अखिलेश यादव भी पुष्पेन्द्र यादव के पीड़ित परिवारीजनों से मिलेंगे।
अखिलेश यादव ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि विजयादशमी की सुबह से पहले रात के अंधेरे में झांसी में सत्ता की ताकत झोंककर पुष्पेन्द्र यादव का अंतिम संस्कार कर सरकार ने न्याय की चिता जलाई है।परिवारीजन और स्थानीय जनता मांग कर रही थी कि फर्जी एन्काउटंर करने वाले दारोगा धर्मेन्द्र सिंह के खिलाफ भी धारा 302 में रिपोर्ट लिखी जाए, तभी पुष्पेन्द्र के शव को लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस का बेहद निंदनीय रवैया यह रहा है कि पुष्पेन्द्र को न्याय देने के बजाय उलटा उनके शोकाकुल परिजनों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। पुलिस दरअसल अपने किए पाप पर पर्दा डालने के लिए जनता की आवाज को कुचलने पर तुली है।
पुलिस का यह रवैया झांसी के मामले में ही नहीं बदायूं में हिरासत में दम तोड़ने वाले बृजपाल के साथ भी नजर आया, जब उसका अंतिम संस्कार जबरन पुलिस ने करा दिया। समाजवादी पार्टी की मांग है कि पुष्पेन्द्र यादव के मामले सहित पूर्व में हुए सभी फर्जी एन्काउटंरों की जांच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए। इससे सच्चाई सबके सामने आ सकेगी।