दरअसल, गंगोह थाना क्षेत्र के गांव बुढड़ा खेडा निवासी गर्भवती महिला 32 वर्षीय रूपा को उसका पति मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया था। यहां डॉक्टर शर्मिष्ठा ने प्राथमिक जांच के बाद उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। रुपा के पति ने एबुलेंस के लिए 108-102 को कॉल किया गया, लेकिन एबुलेंस नही आई। बाद में एबुलेंस के चालक ने कहा कि एम्बुलेंस में तेल नहीं है। करीब एक घंटे तक महिला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के गेट पर प्रसव पीड़ा से कराहती रही।
एबुलेंस की उपलब्धता के लिए प्रसव पीड़िता तड़पती रही, लेकिन जब एक घंटे तक भी एबुलेंस नही आई तो पति प्राइवेट कार से अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल लाया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
वहीं, इस मामले को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक डॉ. अनवर अंसारी का कहना है कि एबुलेंस के तेल लेने संबंधी कार्ड निरस्त हो गए हैं, जिस कारण एबुलेंस को तेल नही मिल पा रहा है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था होना कोई नई बता नहीं है। अस्पताल में जिस एबुलेंस को मरीजों की सेवा के लिए लगाया जाता है उसमें तेल तक नहीं है। यूपी में स्वास्थ्य सेवाओं का यही हाल है। एबुलेंस में तेल नहीं होता है। कहीं, हॉस्पिटल में भर्ती करने के एवज में मरीज से रूपये मांगे जाते हैं। नवजात शिशु हॉस्पिटल के गेट पर दम तोड़ने को मजबूर है।