देहरादून। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार देशभर में पहली बार यूसीसी (यूनिफार्म सिविल कोड) लागू करने की तैयारी में है। जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने प्रदेशभर में लोगों से बात करके इसका ब्लू प्रिंट तैयार किया है। सीएम धामी ने आउटलुक से कहा कि जल्द ही इसे विधानसभा से पारित करके सूबे में लागू किया जाएगा।
आईए हम बताते हैं आपको कैसा है धामी सरकार का यूनिफॉर्म सिविल कोड का होने वाला कानून। इस कमेटी को करीब 2.31 लाख सुझावों मिले थे। कमेटी ने इनमें से इन सुझावों पर अपनी अंतिम मुहर लगाई है। इन सुक्षावों में पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगाने की बात की गई है। लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें। लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। और माता पिता को इसकी सूचना दी जाएगी। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा।
एडॉप्शन सभी के लिए का विकल्प प्रभावी होगा।। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी। हलाला और इद्दत पर रोक होगी। शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा। अगर पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी। बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है। जनसंख्या नियंत्रण की भी बात इसमें की गई हैं। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को पुलिस के पास रजिस्टर करना होगा जिसमें माँ बाप को भी अवगत कराया जाएगा। बहुविवाह पूर्ण तरीक़े से बैन होगा और कोई भी केवल एक शादी कर सकेगा। हलाला बैन होगा (तलाक़ लेने के बाद अगर फिर से शौहर के साथ रहना चाहते तो दूसरे मर्द से शादी करनी होगी)। हर शादी का गाँव में ही रजिस्ट्रेशन होगा बिना रजिस्टर की शादी अमान्य होगी। तलाक़ होने के बाद बच्चे को दादा दादी या नाना नानी को दिया जाएगा