भर्ती घोटाले को लेकर युवा आंदोलन कर रहे हैं। इसी बीच पुष्कर सिंह धामी सरकार ने एक अध्यादेश के जरिए नकल विरोधी कानून लागू कर दिया है। इस कानून के दायरे में सभी प्रतियोगी परीक्षाएं आएंगी। इसमें आजीवन कारावास से लेकर 10 करोड़ रुपये जुर्माने तक का प्रावधान किया गया है।
उत्तराखंड में विभिन्न आयोगों भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। सीएम धामी ने सभी मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच एसआईटी से कराने का निर्देश दिया। ऐसे मामलों में अब तक पांच दर्जन से अधिक लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और सात से आठ भर्ती परीक्षाएं रद्द की जा चुकी है।
ऐसे में मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सीएम धामी ने एक सख्त नकल विरोधी कानून बनाने का निर्देश दिया था। इसका ड्राफ्ट तैयार करने के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाना था। इसी बीच युवाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया। पथराव, लाठीचार्ज और एक दर्जन से अधिक युवाओं की गिरफ्तारी से ये आंदोलन उग्र हो गया। कांग्रेस भी सड़कों पर आ गई। मौके की नजाकत को देखते हुए सीएम धामी ने इस कानून के ड्राफ्ट को विचलन के जरिए खुद ही मंजूरी और हस्ताक्षर के लिए राजभवन भेज दिया गया। बीती देररात राज्यपाल ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद ये यह कानून तत्काल प्रभाव से प्रभावी हो गया है।
इस कानून को बेहद सख्त बनाया गया है। इसमें प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति, प्रिंटिग प्रेस, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान या सेवा प्रदाता संस्था इसमें लिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा के साथ ही 10 करोड़ रुपये की जुर्माना भी भुगतना होगा। इसमें नकल करने को दोषियों को कारावास के साथ ही तीन से 10 साल की अवधि तक किसी भी परीक्षा में शामिल होने नहीं दिया जाएगा। इसके तहत अपराध संज्ञेय और गैरजमानती होगा। अनुचित साधनों से एकत्र की गई तमाम संपत्तियों को कुर्क किया जाएगा।