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कई मायनों में अभूतपूर्व होगा उत्तराखंड का मानसून सत्र, महज एक दिन चलेगा

उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र कई मायनों में अभूतपूर्व रहने वाला है। यह सत्र अब तक का सबसे कम अवधि...
कई मायनों में अभूतपूर्व होगा उत्तराखंड का मानसून सत्र, महज एक दिन चलेगा

उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र कई मायनों में अभूतपूर्व रहने वाला है। यह सत्र अब तक का सबसे कम अवधि वाला होगा यानि महज एक दिन ही चलेगा। स्पीकर समेत कई अहम पद प्रभारी के हवाले ही रहेंगे। एक तरफ जहां बुजुर्ग विधायक सदन में सशरीर मौजूद नहीं होंगे, वहीं विस परिसर में हमेशा जैसी गहमागहमी भी दिखाई नहीं देगी।
 
उत्तराखंड विस का मानसून सत्र संवैधानिक मजबूरी के चलते 23 सितंबर को आहूत किया गया है। कोरोना संकट की वजह से यह सत्र कई मायनों में अभूतपूर्व रहने वाला है। यह भी कहा जा सकता है कि ऐसा मानसून सत्र न भूतो, न भविष्यति। देखिए इस सत्र में क्या-क्या नया होने वाला है।
 
यह मानसून सत्र सबसे पहले तो अवधि को लेकर अभूतपूर्व होगा। महज एक दिन का मानसून सत्र इससे पहले देश के किसी भी राज्य में पहले नहीं हुआ होगा। इस बार सदन की कार्यवाही डिप्टी स्पीकर रघुनाथ सिंह ही संचालित करेंगे। स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल कोरोना संक्रमित होने की वजह से सदन में आएंगे ही नहीं। यह भी पहली बार ही होगा कि स्पीकर सदन में आएंगे ही नहीं।
 
इसी तरह यह सत्र पहली बार नेता प्रतिपक्ष की गैर मौजूदगी में होगा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. श्रीमती इंदिरा ह्रदयेश कोरोना संक्रमित हैं। ऐसे में इस जिम्मेदारी का निवर्हन सदन में विपक्ष के उप नेता करन मेहरा के हवाले होगा।
यह भी महज एक संयोग ही है कि संसदीय कार्य मंत्री का प्रभार भी अस्थायी तौर पर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ही संभालेंगे। संसदीय कार्य मंत्री रहे प्रकाश पंत की असमय मृत्यु के बाद यह यह काम किसी भी मंत्री को स्थायी तौर पर नहीं दिया गया है। पहले लग रहा था कि कौशिक भी सदन में नहीं आ पाएंगे। लेकिन वो अब स्वस्थ हैं तो संसदीय कार्य मंत्री का दायित्व निभाएंगे।
 
उत्तराखंड विस के बीस साल के इतिहास में पहली बार होगा कि विस सचिव का दायित्व भी एक प्रभारी के हवाले रहेगा। सचिव की सेवानिवृत्ति से पहले इस पद पर तैनाती के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। नतीजा रहा है कि सचिव पद का प्रभार एक निचले स्तर के अधिकारी मयंक सिंघल को दिया गया है। यहां यह लिखना भी समीचीन होगा कि सिंघल से वरिष्ठ एक अधिकारी उनके अधीन काम करेगा।
 
विस का मंडप बेहद छोटा है। ऐसे में कोविड प्रोटाकॉल के तहत डिस्टेंसिंग का पालन करना संभव ही नहीं है। अब माना यही जा रहा है कि 65 साल के अधिक उम्र के विधायक तो सशरीर सदन में हाजिर नहीं होंगे। य़े वर्चुअल सदन की कार्य़वाही का हिस्सा बनेंगे। इसके अलावा कई विधायक कोरोना संक्रमित होने की वजह से भी सशरीर सत्र में शामिल नहीं हो सकेंगे।
 
इस बार विस परिसर में गहमागहमी की बेहद कम होगी। कोरोना महामारी के चलते गैर जरूरी प्रवेश पर पाबंदी लगाई जा रही है। सत्र के दौरान विभिन्न कामों से मंत्रियों के पास आने वालों का प्रवेश नहीं होगा। केवल अपना चेहरा दिखाने के लिए परिसर में चहलकदमी करने वालों को भी इस बार निराशा ही हाथ लगेगी।

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