राजस्थान में भाजपा ने तीन विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के दौरान स्टार प्रचारकों की लिस्ट से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम गायब कर दिया हैं। वहीं इन तीन क्षेत्रों में प्रचार के लिए भाजपा ने वसुंधरा के भजीते ज्योदिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस निर्णय के पीछे भाजपा कुछ बड़ा प्लान कर रही है।
बता दें कि राजस्थान में राजसमंद, सहाड़ा और सुहानगढ़ तीनों सीटों पर 17 अप्रैल से उपचुनाव होने जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस बार भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर उपचुनाव लड़ने की योजना बनाई है।
भाजपा के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में केंद्रीय मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी, राज्य प्रमुख सतीश पूनिया, विपक्ष के नेता गुलाब कटारिया, विपक्ष के उप-नेता राजेंद्र राठौर, शामिल हैं वहीं इस लिस्ट में वसुंधरा राजे का नाम गायब है।
तीन उपचुनावों में रही राजे की सीमित भूमिका
एक वरिष्ट नेता ने पुष्टि की है कि इन तीन उपचुनावों में वसुंधरा राजे की सीमित भूमिका रही है। उनकी राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के लिए उनकी बड़ी भूमिका है।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक राजे वास्तव में उपचुनावों में सक्रिय रूप से अपने समर्थकों को भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने के लिए प्रभावित कर रही हैं। इसके साथ ही उसने रणधीर सिंह भिंडर द्वारा स्थापित एक स्थानीय राजनीतिक संगठन 'जनता सेना' से अपने समर्थकों को मैदान में उतारने की योजना बनाई है, जो एक कट्टर राजे समर्थक माने जाते हैं।
भाजपा सूत्रों के बताया कि वह राजे के समर्थकों की मदद के बिना तीनों सीटें जीतने के प्रति आश्वस्त हैं। हमने इनमें से प्रत्येक स्थान पर अपना डोर-टू-डोर सर्वे पूरा कर लिया है। हमारा जमीनी सर्वेक्षण हमारी जीत की पुष्टि करता है और इसलिए हम इन चुनावों को जीतने के लिए आश्वस्त हैं। मंगलवार को भाजपा उम्मीदवार राजसमंद सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर रहे थे। जहां राजे कहीं भी दिखाई नहीं दी थी।
भाजपा के राजनीतिक घटनाक्रम पर कांग्रेस का निशाना
इस राजनीतिक घटनाक्रम पर कांग्रेस ने भी निशाना साधा है। सहाड़ा विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कमान संभाल डॉ रघु शर्मा ने सोमवार को गंगापुर में भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि प्रचार के लिए बुआजी वसुंधरा राजे को लाना चाहिए, लेकिन उन्हें तो नहीं ला पाना और मध्यप्रदेश से भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर आना ही भाजपा की नैतिक हार है। दस साल तक सीएम रही वसुंधराजी चुनावों में क्यों नहीं आई। भाजपा में नीचे तक गुट बन चुके हैं। वसुंधरा राजे के समर्थकों को प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया के समर्थक अपमानित कर रहे हैं। भाजपा का ये झगड़ा ही उन्हें ले डूबेगा।