गुजरात में आरक्षण पर छिड़े विवाद के बीच अब प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को दिए जाने वाले पांच फीसदी के कोटे पर भी सवाल उठने लगे हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि जब पाटिदारों को आरक्षण देने में इतनी परेशानी हो रही है तो गुजरात सरकार ने प्रवासी भारतीयों को अलग से पांच फीसदी आरक्षण क्यों दे रखा है। यह सवाल पूछने वालों में पाटिदार और आरक्षण पाने वाले समूह पूछ रहे हैं।
इस बारे में ठाकोर सेना और ओएसएस एकता मंच (ओबीसी, एसी, एसटी) के अल्पेश ठाकोर ने आउटलुक को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने के अलावा प्रवासी गुजरातियों का क्या योगदान है। गुजरात के विकास की असलियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि राज्य के सबसे ताकतवर समझी जाने वाली कौम-पटेल आरक्षण मांग रहे हैं। सबसे ताकतवर पाटिदार अगर गरीब और पिछड़े हैं तो फिर ये सोचा ही जा सकता है कि हम (ओबीसी, दलित, आदिवासी) कहां होंगे। अल्पेश ने बताया कि कि अब उनका मंच गुजरात के गांवों में जनता दरबार लगाने जा रहा है और इन तमाम सवालों पर लोगों की राय जुटाने के मिशन में लगने जा रहा है।
उधर पाटिदारों के बीच भी आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को दिए 10 फीसदी के आरक्षण का विरोध बढ़ रहा है। उनका कहना है कि वे ओबीसी में आरक्षण मांग रहे हैं, ईबीसी में नहीं। आंदोलन में सक्रिय राजेश पटेल का कहना है कि जब प्रवासी आरक्षण दिया जा सकता है तो पटेल आरक्षण क्यों नहीं। हमें ईबीसी का लॉलीपॉप नहीं चाहिए।