पहाड़ों की रानी व दुनिया भर में पर्यटन नगरी के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पीने के पानी के संकट की वजह से पर्यटन कारोबारियों के कारोबार पर पानी फिर गया है। पर्यटन उद्योग को अनुमानत: 12 से 15 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। मैदानी इलाकों से पर्यटक तो बेशुमार आ रहे है लेकिन होटलियरों ने पानी न होने की वजह से सैलानियों को कमरे देने बंद कर दिए है। नतीजतन सैलानियों ने शिमला के बजाय मनाली, डलहौजी व प्रदेश के दूसरे पर्यटन स्थलों की ओर रूख कर दिया है। कई होटलों ने बुकिंग करनी बंद कर दी है व जहां पर पहले से बुकिंग हुई हैं उनकी बुकिंग रद्द कर दी गई है।
टूरिज्म इंडस्ट्री एंड स्टॉकहोल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंदर कुमार सेठ ने कहा कि पर्यटन नगरी में सभी पंजीकृत होटलों में 4500 के करीब कमरे हैं व इनमें 20 हजार के करीब सैलानी ठहर सकते हैं। यह पीक सीजन है। ऐसे में एक भी कमरा खाली नहीं रहता था। लेकिन आज कमरे खाली पड़े हैं। उन्होंने कहा कि सीजन न होने के समय जो घाटा होता है, इस बार उसकी भी भरपाई नहीं हो पाई है। शिमला व आसपास के पर्यटन उद्योग को रोजाना 12 से 15 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसा नुकसान पहले कभी नहीं उठाना पड़ा।
शहर के नामी होटल गुलमर्ग के मालिक गोपाल अग्रवाल ने कहा कि जिन्होंने उनके होटल की बुकिंग कराई थी, उनकी बुकिंग रद्द कर उनको सौ फीसदी रिफंड कर दिया है। अगर सैलानी यहां आ गए तो उनके लिए पानी कहां से मुहैया कराएंगे। इसके अलावा उन्होंने अधिकांश स्टाफ को भी छुट्टी पर भेज दिया है। उन्होंने कहा कि वह सरकार से आग्रह करेंगे कि परवाणु से सैलानियों को शिमला की ओर न आने दें अन्यथा शिमला का नाम खराब होगा।
बड़ी शिमला कालका टैक्सी यूनियन के अमन ने कहा कि सैलानियों का आना जारी है लेकिन होटलों में कमरे नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में सैलानी दूसरे पर्यटन स्थलों को जा रहे है। इससे होटलियरों का कारोबार प्रभावित हुआ हैं लेकिन उनका कारोबार बढ़ गया है। उधर, पर्यटक विभाग के निदेशक सुदेश मोकटा ने कहा कि पानी के संकट का कुछ असर पड़ा है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं है। अभी फील्ड से रिपोर्ट मंगाई जा रही है।