शनिवार को अपने विजयादशमी संबोधन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले की निंदा की और इसे अपराध-राजनीति गठजोड़ का "शर्मनाक" प्रतिबिंब करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अपराधियों को बचाने की कोशिश जैसी जहरीली संस्कृति हमें बर्बाद कर रही है।
वह नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित कर रहे थे।
न्याय में देरी और अपराधियों को बचाने के प्रयासों की आलोचना करते हुए भागवत ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सतर्कता बरतने का आग्रह किया। उन्होंने आरजी कर बलात्कार हत्या मामले से निपटने के तरीके को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर अप्रत्यक्ष हमला किया।
मोहन भागवत ने कहा, "कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जो हुआ, वह शर्मनाक है। लेकिन, यह कोई एक घटना नहीं है। हमें ऐसी घटनाएं न होने देने के लिए सतर्क रहना चाहिए। लेकिन, उस घटना के बाद भी, जिस तरह से देरी की गई, अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई - यह अपराध और राजनीति के बीच गठजोड़ का परिणाम है, जहरीली संस्कृति हमें बर्बाद कर रही है।"
भागवत ने कहा कि हमारा देश ऐसा है कि जब द्रौपदी के वस्त्र छूए गए तो महाभारत हो गया और जब सीता का अपहरण हुआ तो रामायण हो गई।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "महिलाओं के प्रति हमारा दृष्टिकोण "मातृवत् परदारेषु" - हमारी मूल्य परंपरा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। परिवारों और मीडिया में ऐसे मूल्यों के प्रति जागरूक न होना या उनकी उपेक्षा या अवमानना करना... बहुत महंगा साबित हो रहा है। हमें परिवार, समाज और मीडिया के माध्यम से इन पारंपरिक मूल्यों को जागृत करने की प्रणाली को पुनर्जीवित करना होगा।"
9 अगस्त को आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय डॉक्टर का शव मिला था। तब से राज्य के हजारों जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं।
आरएसएस प्रमुख ने आगे दावा किया कि जाति, भाषा, प्रांत आदि के आधार पर अलगाव पैदा करके संघर्ष पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।
भागवत ने कहा, "ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि क्षुद्र स्वार्थ और छोटी-छोटी पहचानों में उलझा समाज अपने सिर पर मंडरा रहे सर्वव्यापी संकट को तब तक न समझ पाए, जब तक बहुत देर न हो जाए। इसी के कारण आज देश की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, समुद्री सीमा पर केरल, तमिलनाडु तथा बिहार से मणिपुर तक पूरा पूर्वांचल अशांत है।"
दशहरा पर अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि देश में अकारण कट्टरता भड़काने वाली घटनाओं में अचानक वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, "स्थिति या नीतियों को लेकर मन में असंतोष हो सकता है, लेकिन उसे व्यक्त करने और उनका विरोध करने के लोकतांत्रिक तरीके हैं। इन तरीकों पर चलने के बजाय हिंसा का सहारा लेना, समाज के एक विशेष वर्ग पर हमला करना, बिना कारण हिंसा का सहारा लेना, भय पैदा करने की कोशिश करना, गुंडागर्दी है।"
उन्होंने कहा, "इसे भड़काने या योजनाबद्ध तरीके से करने के प्रयासों को पूज्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 'अराजकता का व्याकरण' कहा है। श्री गणेश विसर्जन के जुलूसों पर बिना उकसावे के बड़े पैमाने पर पथराव की घटनाएं और उसके बाद पैदा हुआ तनावपूर्ण माहौल इसी व्याकरण के उदाहरण हैं।"
भागवत ने आगे कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकना और दोषियों को तुरंत नियंत्रित करना तथा दंडित करना प्रशासन का काम है।
उन्होंने कहा, "लेकिन जब तक वे नहीं आ जाते, तब तक समाज को अपनी और अपनी संपत्ति के साथ-साथ प्रियजनों के जीवन की भी रक्षा करनी होगी। इसलिए, समाज को हमेशा पूरी तरह सतर्क और तैयार रहने तथा इन दुष्ट प्रवृत्तियों और उन्हें समर्थन देने वालों की पहचान करने की आवश्यकता है।"
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत दुनिया में अधिक मजबूत और सम्मानित हुआ है तथा इसकी विश्वसनीयता भी बढ़ी है, लेकिन भयावह षड्यंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में यह बात फैलाई जा रही है कि भारत एक खतरा है और उन्हें बचाव के लिए पाकिस्तान से हाथ मिलाना चाहिए।
भागवत ने कहा कि व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र की दृढ़ता शुभता और धर्म की जीत के लिए शक्ति का आधार बनती है, चाहे परिस्थिति अनुकूल हो या प्रतिकूल।
उन्होंने कहा, "हर कोई महसूस करता है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत अधिक मजबूत हुआ है और दुनिया में इसकी साख बढ़ी है। एक देश अपने लोगों के राष्ट्रीय चरित्र के कारण महान बनता है। यह वर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है।"
उन्होंने कहा कि आशाओं और आकांक्षाओं के अलावा भारत में चुनौतियां और समस्याएं भी मौजूद हैं।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हमें अहिल्याबाई होल्कर, दयानंद सरस्वती, बिरसा मुंडा और कई अन्य हस्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए जिन्होंने देश के कल्याण, धर्म, संस्कृति और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।"
उन्होंने कहा कि हमास-इजराइल के बीच चल रहा युद्ध चिंता का विषय है कि यह संघर्ष कहां तक फैलेगा। भागवत ने इस बात पर संतोष जताया कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए।
उन्होंने कहा, "लोगों, सरकार और प्रशासन के कारण विश्व मंच पर देश की छवि, शक्ति, प्रसिद्धि और स्थिति बढ़ रही है। लेकिन देश को अस्थिर और अशांत करने के लिए भयावह षड्यंत्र सामने आए हैं।"
भागवत के अनुसार, पड़ोसी बांग्लादेश में, जिसने हाल ही में बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल देखी है, एक नैरेटिव फैलाया जा रहा है कि भारत एक खतरा है और उन्हें भारत के खिलाफ बचाव के लिए पाकिस्तान में शामिल हो जाना चाहिए। उन्होंने पूछा कि इस तरह का नैरेटिव कौन फैला रहा है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि बांग्लादेश में अत्याचारी कट्टरपंथी प्रकृति मौजूद है। हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों के सिर पर खतरे की तलवार लटक रही है। उन्होंने कहा कि हिंदू अब खुद की रक्षा के लिए सामने आए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा, "असंगठित और कमजोर होना दुष्टों द्वारा अत्याचार को आमंत्रित करने जैसा है। हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है।" भागवत ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म' और 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' सभी सांस्कृतिक परंपराओं के दुश्मन घोषित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बहुदलीय लोकतंत्र में आपसी सद्भाव, राष्ट्र के गौरव और अखंडता की तुलना में क्षुद्र स्वार्थ अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा में ये प्रमुख पहलू गौण माने जाते हैं।